देश रोज़ना: देश में महिला और पुरुष फुटबॉल टीम में अंतर किया जाता है। यह मामला शुरू हुआ है अहमदाबाद के गोकुलम केरला एफसी से जहां एक घरेलू महिला ने इंडियन वीमेंस लीग जीतकर सफलता हासिल की लेकिन, किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं गया, ना ही किसी ने बधाई दी। वहीं दूसरी ओर भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम ने चैम्पियनशिप जीती तो सोशल मीडिया पर बधाईओं की झड़ी लग गयी।
सीजन में चार बार सैफ चैम्पियनशिप जीत चुकीं है। मामले में यह तर्क साफ़ देखा जा सकता है कि आईडब्लूएल जीती लीग थी। जब खिलाडियों को वेतन और प्राइज़ मनी की बात आती है तो वहां भी अंतर देखा जाता है। प्राइज में दी गयी इनाम राशि में भी बड़ा अंतर देखने को मिलता है।
गुजरात स्टेट फुटबॉल एसोसिएशन की पुरुष के बीच भी क्लब चैम्पियनशिप हुई थी। जिसमे महिला और पुरुष का एक ही मैदान बनाया गया था। यानि महिलाओं के लिए एक अलग से ग्राउंड भी नहीं बनवाया गया। इससे महिला और पुरुष की टीम में काफी अंतर देखा गया है। रैंकिंग में महिला टीम में 60वें स्थान पर है, जबकि पुरुष टीम 99वें पर है।
इस मामले पर महिला टीम की पूर्व खिलाडी सुजाता का कहना है कि महिलाओं को केवल 3 टूर्नामेंट खेलने को मिलते है, जिसके विपरीत पुरुष खिलाडी कई स्तर तक टूर्नामेंट खेलते है। यह मामला पूरी तरह महिलों की आज़ादी को लेकर उठाया गया है। जिसके बाद कईं महिला खिलाडियों ने इस मामले का विरोध किया।