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Editorial: आस्था के साथ विकास का भी तीर्थ होगी अयोध्या

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देश रोज़ाना: पिछली सदी के अस्सी के दशक में अर्थशास्त्री आशीष बोस ने बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की पिछड़ी अर्थव्यवस्थाओं के चलते बीमार से मिलता-जुलता बीमारू नाम दिया था। लेकिन अब उत्तर प्रदेश बीमारू की श्रेणी से बाहर निकलने लगा है। आस्था के साथ विकास के योगी मॉडल आज देश के सबसे बड़े सूबे को नई पहचान दे रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या इस मॉडल की सफलता और विलक्षणता का एक बड़ा उदाहरण बनने जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि अयोध्या के राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रोजाना श्रद्धालुओं, तीर्थयात्रियों और सैलानियों की जो बाढ़ आएगी, उससे ना सिर्फ साकेत और अयोध्या, बल्कि पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तेज उछाल आएगा। वाराणसी का अनुभव इसकी पुष्टि भी कर रहा है। जहां विश्वनाथ कारीडोर के उद्घाटन के बाद रोजाना आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इसका असर यहां के स्थानीय परिवहन, होटल व्यवसाय, दस्तकारी और रेस्टोरेंट के कारोबार में तेज बढ़ोत्तरी दिख रही है। माना जा रहा है कि राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या और आसपास के इलाकों में तीर्थ यात्रियों की बाढ़ के साथ ही वाराणसी में आने वाले लोगों की संख्या में भारी उछाल होगा।

स्थानीय पर्यटन में सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का बड़ा महत्व रहा है। उत्तर प्रदेश की धरती ऐसे स्थलों से भरी पड़ी है। लेकिन सवाल यह है कि तीर्थ स्थल तो प्राचीन काल से ही हैं, लेकिन यहां पहले यात्रियों की संख्या में बाढ़ क्यों नहीं देखी गई? यात्री श्रद्धा के बावजूद आने से क्यों बचते थे? इसका सीधा सा जवाब है कि पहले तीर्थ यात्रियों के हिसाब से ना तो सड़कें थीं, ना ही यात्रा के साधन, ना ही शहरों में ठहरने के इंतजाम, ना ही बेहतर कानून व्यवस्था और दूसरी सुविधाएं। लेकिन अब उत्तर प्रदेश में बदलाव आ रहा है।

यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री पूर्वी उत्तर प्रदेश ने ही दिये या यहीं से चुन कर आए, लेकिन विकास की दौड़ में यह इलाका पिछड़ा रहा। भगवान शिव की नगरी काशी हो, भगवान बुद्ध के पहले उपदेश का गवाह रहा सारनाथ, भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या, भगवान बुद्ध का निर्वाण स्थल कुशीनगर, सब पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं। अतीत में ना तो राम सर्किट और ना ही बौद्ध सर्किट को आर्थिक हलचल के केंद्र में विकसित करने की कोशिश हुई, ना ही इन सर्किटों को सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में बढ़ावा देने की कोशिश हुई। लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। इसका केंद्र फिलहाल अयोध्या और काशी बन रही है।

अयोध्या में बन रहा राम मंदिर इलाके की आर्थिक हलचल का भी केंद्र बनेगा। इसकी वजह यह है कि यहां ‘टूरिज्म फैसिलिटेशन सेंटर’ बनाया जा रहा है। जिसे अयोध्या में 4.40 एकड़ में बनाया जा रहा है। जिसे तैयार करने में 130 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। इस केंद्र को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 330 व 27 से जोड़ने की भी तैयारी है। यहीं सैलानियों के ठहरने के भी इंतजाम किए जाएंगे। इसके निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग ने कार्य शुरू कर दिया गया है। टेंडर डाले जा चुके हैं और उम्मीद की जा रही है कि एक महीने में काम शुरू हो जाएगा। जिस तरह उत्तर प्रदेश सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। उससे लगता है कि आस्था और अध्यात्म का केंद्र राममंदिर वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा।

इसमें दो राय नहीं है कि राम मंदिर के निर्माण के बाद ना सिर्फ देश बल्कि दुनिया के तमाम कोनों से श्रद्धालुओं व पर्यटकों की बाढ़ अयोध्या आएगी। वह काशी भी जाएगी, प्रयाग भी जाएगी, हो सकता है कि वह सारनाथ और कुशीनगर भी जाएं। लखनऊ का वैभव भी देखने की वह कोशिश करेगी। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)

  • उमेश चतुर्वेदी
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