देश रोज़ाना: सुकरात एक महान दार्शनिक थे। उनका खुद का लिखा हुआ तो कुछ नहीं मिलता है, लेकिन उनके शिष्य ने बाद में उनके विचारों को संवाद शैली में संग्रहीत किया। दर्शन में उन्होंने एक ऐसे आदर्श राज्य की कल्पना की थी जो तत्कालीन समाज से मेल नहीं खाती थी। यह तत्कालीन राजाओं के खिलाफ माना गया। एथेंस के राजा ने सुकरात को युवाओं को धर्मपरायणहीनता और भड़काने के आरोप में जहर पीने की सजा दी थी। कहा जाता है कि सुकरात बहुत बदसूरत थे। एक बार की बात है। सुकरात घूमते हुए एक वृद्ध के घर पहुंचे। उस बुजुर्ग से सुकरात की कुछ ही दिनों पहले मित्रता हुई थी। उस घर के सदस्यों ने सुकरात का भरपूर स्वागत-सत्कार किया।
वह बुजुर्ग एथेंस के अमीर लोगों में से एक थे। उसने जीवन भर व्यापार करके बहुत ज्यादा धन कमाया था। जब रात को भोजन करने के बाद सुकरात और बुजुर्ग बैठे, तो सुकरात ने पूछा कि आप तो जीवन में बड़े संतुष्ट दिखाई देते हैं। इसका कारण क्या है? उस बुजुर्ग ने कहा कि मैंने जीवन भर जो कुछ भी कमाया है, उस सबको मैंने अपने बेटों को सौंप दिया है। अब सारा व्यापार बेटे संभालते हैं। अगर वे किसी मामले में मेरी सलाह मांगते हैं, तो मैं अपने अनुभव के आधार पर उन्हें सलाह देता हूं। किसी काम के परिणाम और दुष्परिणाम समझाता हूं।
दि वे मेरी सलाह पर अमल नहीं करते हैं, तो मैं दुखी नहीं होता हूं। वे मुझे जो कुछ भी खाने-पीने को दे देते हैं, मैं उतने में ही संतुष्ट रहता हूं। मेरी पत्नी भी अपना सारा दायित्व बहुओं को सौंपकर निश्चिंत हो गई है। हम दोनों अब किसी से कोई अपेक्षा नहीं करते हैं। जो कुछ भी वे करते हैं, मैं उसमें कई दखल नहीं देता हूं। जब उनको व्यापार में घाटा होता है, तब मैं दुखी भी नहीं होता हूं। यह सुनकर सुकरात ने कहा कि आपने समाज को समझाया है कि सुखी जीवन कैसे व्यतीत किया जा सकता है।
लेखक: अशोक मिश्र