हमारे देश में एक बहुत पुरानी कहावत कही जाती है। तंदुरुस्ती हजार नियामत है यानी यदि कोई व्यक्ति स्वस्थ है, तो समझो उसके पास हजार गुना संपत्ति है। स्वस्थ व्यक्ति अपने परिवार और देश का भला कर सकता है। वह रोजगार-धंधा या नौकरी करके देश के विकास में अपनी भूमिका निभा सकता है, लेकिन एक बीमार व्यक्ति परिवार पर बोझ तो होता ही है, समाज और देश पर भी किसी बोझ से कम नहीं होता है।
परिवार को उस व्यक्ति को स्वस्थ रखने और उसकी बीमारी को दूर करने के लिए वह रकम खर्च करनी पड़ती है जो उसने संकट काल के लिए बचा रखा होता है। वैसे किसी व्यक्ति का बीमार पड़ जाना भी किसी संकट से कम नहीं होता है। यही वजह है कि हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने इस साल 1.59 करोड़ गरीबों के स्वास्थ्य की जांच का लक्ष्य निर्धारित किया था। गरीब व्यक्ति वैसे भी धनाभाव के चलते छोटी-मोटी बीमारियों में इलाज कराने से बचता है।
मामला जब गंभीर हो जाता है, तो वह इलाज कराता है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग ने गरीबों की जांच की योजना बनाई थी ताकि यदि किसी को कोई बीमारी हो रही है, तो उसका पता लगाकर इलाज किया जाए। लेकिन जैसा कि सरकारी योजनाओं में होता है, साल भर में हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग सिर्फ 39 लाख गरीबों की ही जांच कर पाया। यह आंकड़ा लक्ष्य का 23.89 प्रतिशत ही है। हालत कितनी बदतर है, इसका पता इस बात से चलता है कि आठ जिलों में 20 प्रतिशत गरीबों के स्वास्थ्य की भी जांच नहीं हुई है।
पिछले साल निरोगी हरियाणा योजना की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 29 नवंबर को कुरुक्षेत्र से की थी। योजना के तहत 1.59 लाख लोगों के स्वास्थ्य की जांच करनी थी। निरोगी हरियाणा योजना की शुरु का लक्ष्य था कि गरीबों के स्वास्थ्य की जांच कर उनकी बीमारियों का इलाज करना ताकि वे स्वस्थ रह सकें। लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते एक चौथाई लोगों की भी जांच नहीं हो पाई।
अब तक जो रिपोर्ट निकलकर आई है, उसके मुताबिक प्रदेश का हर नौवां व्यक्ति बीमारी से जूझ रहा है। यह रिपोर्ट बताती है कि 1.32 लाख लोग एनीमिया से ग्रसित हैं। 56 हजार ब्लड प्रेशर और 41 हजार लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। जिन 38 लाख लोगों की जांच की गई है, उनमें से चार लाख छह हजार लोग किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं। किसी भी प्रदेश के लिए यह स्थिति काफी चिंताजनक है। प्रदेश सरकार को सेहत की जांच में तेजी लानी होगी, ताकि जो लोग अपनी बीमारी से अनजान हैं, उनकी जांच करके दवा शुरू किया जा सके। यदि समय पर जांच नहीं की गई, तो उनका मर्ज बढ़ता जाएगा और एक दिन वे भयानक रूप से बीमार पड़ जाएंगे। जो उचित नहीं होगा।
-संजय मग्गू