महात्मा बुद्ध की मृत्यु के कुछ सौ साल बाद ही कई देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हो गया था। सम्राट अशोक ने तो अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीलंका भेज दिया था। चीन और जापान जैसे देशों में बौद्ध धर्म खूब फला फूला। चीन में भी बहुत सारे बौद्ध भिक्षु हुए हैं जिन्होंने महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार किया। उनमें से एक बौद्ध भिक्षु थे चू लाई। चू लाई लोगों को धर्म और अध्यात्म की शिक्षा दिया करते थे। वह लोगों को सादा जीवन जीने और कभी असत्य न बोलने की प्रेरणा दिया करते थे। उनके बहुत सारे भक्तों में एक महिला भी थी।
वह चू लाई का बहुत सम्मान करती थी। महिला बौद्ध भिक्षु चू लाई की बातों पर अमल करती थी, लेकिन उसका पति उन्हें पसंद नहीं करता था। उस महिला का पति एक विद्यालय में शिक्षक था। एक दिन बातचीत के दौरान महिला के पति ने चू लाई के खिलाफ कोई कड़वी बात कही। इस पर महिला ने आपत्ति जताई। दोनों में बहस होने लगी। काफी देर तक बहस होने के बाद महिला ने अपने पति से कहा कि आपको बौद्ध भिक्षु से माफी मांगनी होगी।
झगड़े को खत्म करने की नीयत से महिला का पति तैयार हो गया। वह बौद्ध भिक्षु के आश्रम में पहुंचा और जाकर बिना कोई अभिवादन किए उसने चू लाई से कहा कि मुझे माफ कर दो। चू लाई उसकी मनोदशा भांप गए। उन्होंने कहा कि जाओ अपना काम करो, मैं माफ नहीं करता। घर लौटकर उसने यह बात अपनी पत्नी को बताई, तो उसकी पत्नी बौद्ध भिक्षु के पास पहुंची और सारी बात बताई, तो भिक्षु ने कहा कि यदि मैं उसे माफ कर देता, मेरा-तुम्हारा संबंध अच्छा रहता, लेकिन तुम्हारे पति के मन में मेरे प्रति क्रोध बढ़ जाता। मैं सही राह दिखाने के लिए ऐसा किया। जब महिला ने यह बात अपने पति को बताई, तो वह शर्मिंदा हो गया। बाद में चू लाई का भक्त बन गया।
-अशोक मिश्र