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एक तिहाई विधानसभा सीटों पर किसान कर सकते हैं खेल

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सुप्रीमकोर्ट और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सकारात्मक पहल के बावजूद अभी तक किसान आंदोलन को खत्म नहीं किया जा सका है। शंभू बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन अभी तक जारी है। एक अक्टूबर को हरियाणा में होने जा रहे मतदान के संदर्भ में किसान संगठनों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह राजनीतिक दलों ने चुनाव जीतने के लिए अपनी रणनीति बनाने और सियासी शतरंज की बिसात पर अपनी चाल चलने की तैयारियां कर ली हैं। भाजपा, कांग्रेस, जजपा, इनेलो, बसपा और आम आदमी पार्टी ने प्रत्याशियों का चयन लगभग फाइनल कर लिया है। कुछ राजनीतिक दलों ने तो अपने प्रत्याशियों की घोषणा तक कर दी है।

किसान संगठनों की तैयारियों को देखकर राजनीतिक दलों के कान खड़े हो गए हैं। सबने किसानों को लुभाने का हर संभव प्रयास करना शुरू कर दिया है। भारतीय किसान पार्टी ने अपने ग्यारह उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। बाकी उम्मीदवारों की घोषणा की घोषणा जल्दी होने की उम्मीद है। भारतीय किसान पार्टी विधानसभा में कितनी सीटों पर अपना परचम लहराएगी, यह तो समय बताएगा, लेकिन दूसरे किसान संगठनों की हलचल भाजपा और जजपा के दिल की धड़कन बढ़ गई है। भाजपा सरकार ने किसान आंदोलन के चलते पैदा हुए आक्रोश को कम करने के लिए सभी 14 फसलों को एमएसपी पर खरीदने की घोषणा कर चुकी है।

इसके अलावा भी किसानों को लुभाने के लिए सीएम सैनी कई तरह के प्रयास कर चुके हैं। भाजपा के सामने दिक्कत यह है कि जून में आए लोकसभा चुनाव परिणाम से उसे पता चल चुका है कि छह लोकसभा सीटों पर किसानों ने उनके पक्ष में मतदान नहीं किया था। जिसकी वजह से पांच लोकसभा सीटें उसके हाथ से निकल गईं। कांग्रेस ने तो आंदोलन की शुरुआत में ही किसानों का समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। चुनाव घोषणापत्र में भी उसने आश्वासन दिया था कि केंद्र में उसकी सरकार बनने पर एमएसपी कानून लागू किया जाएगा। इस वजह से कांग्रेस आश्वस्त है कि असंतुष्ट किसानों का समर्थन उसे मिलेगा। पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन की वजह से पंजाब से लगती सीटों पर असर देखने को मिलेगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश की तीस विधानसभा सीटों पर किसान अपना प्रभाव दिखा सकते हैं। यह सीटें सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। हरियाणा के किसान संगठनों ने किसानों की मांग का समर्थन किया है। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) ने 20 सितंबर को कलायत में महापंचायत बुलाई है। महापंचायत में ही किसान अपनी नई रणनीति की घोषणा करेंगे। किसान संगठन भी अब दबाव की रणनीति अपनाने के लिए तैयार हो रहे हैं।

-संजय मग्गू

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