दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के रास्ते पर चलकर रंगभेद को मिटाने का प्रयास करने वाले नेल्सन मंडेला काफी विनम्र स्वभाव के थे। नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेजो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था।
वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। नेल्सन के पिता गेडला हेनरी को गांव म्वेजो के मुखिया का पद थेंबू राजा से हासिल हुआ था।
जनजातीय सरदार और मुखिया होने के नाते उन्हें गुजारा भत्ता के साथ-साथ स्थानीय कर का एक छोटा सा हिस्सा मिलता था। इससे उनके परिवार का पालन पोषण होता था। शासकीय व्यवस्था के मुताबिक उन दिनों राजा और मुखिया के बीच एक मजिस्ट्रेट हुआ करता था। अधिकतर मजिस्ट्रेट गोरे ही हुआ करते थे। उन दिनों रंगभेद की भावना लोगों में अच्छी तरह से घर कर गई थी।
म्वेजो गांव के एक पशुपालक ने मजिस्ट्रेट के पास अपने बैल के चोरी होने की शिकायत दर्ज कराई। इस पर मजिस्ट्रेट ने नेल्सन के पिता को सम्मन भेजाकर अदालत में उपस्थिति होने को कहा। गेडला हेनरी ने अदालत में उपस्थित होने से इनकार करते हुए कहा कि उसे उनके पास सम्मन भेजने का अधिकार नहीं है। गेडल हेनरी विरोध स्वरूप दूसरे गांव में रहने चले गए। जब नेल्सन 12 साल के हुए तो उनके पिता की मौत हो गई। इस घटना का प्रभाव नेल्सन मंडेला पर सकारात्मक पड़ा। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया।
-अशोक मिश्र