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केरल के राज्यपाल पर स्टूडेंट फेडरेशन आॅफ इंडिया का हमला?

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देश रोज़ाना: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया है कि बीते सोमवार को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने की साजिश रची। आरोप है कि एयरपोर्ट जाते समय सत्तारूढ़ सीपीएम की छात्र शाखा, स्टूडेंट्स फेडरेशन आॅफ इंडिया (एसएफआई) के कुछ सदस्यों ने राज्यपाल के वाहन को टक्कर मारी। कार के शीशे पर प्रहार किए। यह घटना सोमवार को तब हुई जब राज्यपाल नई दिल्ली जाने के लिए तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जा रहे थे। स्टूडेंट्स फेडरेशन आॅफ इंडिया ने उन पर काले झंडे लहराए और तीन स्थानों पर उनकी कार को रोकने की कोशिश की। एक जगह गवर्नर कार से बाहर निकले तो प्रदर्शनकारी भाग लिए। गवर्नर खान ने दिल्ली में मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री विजयन की संलिप्तता के बूते उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने के लिए एक ठोस प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना कोई हादसा नहीं थी, बल्कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया गया। खान ने कहा, मैं तीन बार प्रदर्शनकारियों के बीच आया और ध्यान देने वाली बात यह है कि इन प्रदर्शनकारियों को पुलिस जीपों में लाया गया था और घटना के बाद उन्हें इन जीपों में वापस ले जाया गया। उन्होंने कहा, सरकार मुझे डराने के लिए ऐसा कर रही है, लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं। राज्यपाल का यह आरोप बहुत गंभीर है, क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री पर साजिश रचने का आरोप है, इसलिए केंद्र सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। उन्हें राज्यपाल के आरोप की किसी केंद्रीय एजेंसी से या केंद्रीय आयोग से जांच करानी चाहिए। साथ ही राज्यपाल को अपने स्तर से अतिरिक्त सुरक्षा देनी होगी ताकि आगे से ऐसा न हो।

राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच विवाद नया नही हैं। मुख्यमंत्री और सरकार चाहती है कि वे राज्य को अपनी मर्जी से चलाएं। जो चाहें करें। राज्यपाल संविधान के अनुरूप कार्य करने को कहते हैं। अपने पद के मद में मुख्यमंत्री ये बर्दाश्त करने को तैयार नहीं होते कि कोई उनके काम में अडंगा लगाए। यही टकराव का बड़ा कारण है। यदि मुख्यमंत्री ये समझ लें। अपनी सीमा जान लें तो कोई विरोध न हो। हालांकि कई जगह राज्यपाल भी मनमानी पर उतरे हैं। वह विधान सभा द्वारा पारित प्रस्ताव स्वीकृति की प्रतीक्षा में कई-कई माह से रोके हैं। इस पर सर्वोच्च न्यायालय भी कई बार नाराजगी जता चुका है।

केरल सरकार ने कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति की। जबकि इस नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल का है। सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवम्बर 2023 मुख्यमंत्री द्वारा कन्नूर विश्व विद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को अनाचार तथा अवैध दखल का दोषी करार दिया। कोर्ट ने निर्णय में यहां तक कहा कि मुख्यमंत्री ने कानून का मजाक उड़ाया है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की खण्डपीठ ने कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन की नियुक्ति को अवैध बताया तथा निरस्त कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद राज्यपाल ने प्रदेश सरकार द्वारा अन्य विश्वविद्यालयों में नियुक्त कुलपति की नियुक्ति भी निरस्त कर दी। इतना ही नहीं केरल उच्च न्यायालय ने भी केरल यूनिवर्सिटी आॅफ फिशरीज एंड ओशियन स्टडीज के कुलपति के रूप में डा.ॅ रिजी जॉन की नियुक्ति को रद्द कर दिया। अदालत ने नियुक्ति को अवैध करार देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया गया। यूजीसी शिक्षा मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है जो देश भर में उच्च शिक्षा संस्थानों के कामकाज की देखरेख करता है।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की कार पर एसएफआई के कार्यकर्ताओं के कथित हमले को लेकर मंगलवार को राज्य की एलडीएफ नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट शासन में पुलिस सत्तारूढ़ दल की ज्यादतियों में सहभागी बनी हुई है। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)

  • अशोक मधुप
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