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वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंकलिन की उदारता

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बेंजामिन फ्रेंकलिन उस व्यक्ति का नाम है जिसने मानवजाति की बहुत बड़ी सेवा की। वह अमेरिकी इतिहास के एक ऐसे पुरुष हैं जो प्रसिद्ध लेखक, मुद्रक, व्यंग्यकार, राजनीतिक विचारक, वैज्ञानिक, आविष्कारक, सैनिक और राजनयिक जैसी भूमिकाओं में हमेशा सफल रहे। बेंजामिन फ्रेंकलिन का बचपन बहुत गरीबी में बीता था। वह अपने पिता की 17 संतानों में से 15वीं संतान थे। जब वह 17 साल के थे, तो वह अपना शहर बोस्टन छोड़कर न्यूयार्क चले गए थे। न्यूयार्क में कुछ दिन रहने के बाद वह फिलाडेल्फिया चले गए। वहां उन्होंने एक प्रेस में नौकरी कर ली।

उन्हें पढ़ने से बहुत प्रेम था। नौकरी के बाद जितना भी समय मिलता वह पढ़ते रहते थे। काफी समय बीतने के बाद उनके परिवार वालों को उनकी चिंता हुई। उनके एक बहनोई होम्स ने काफी मेहनत के बाद उनका पता ठिकाना खोज निकाला और लौट आने के लिए एक मार्मिक पत्र लिखा। पत्र पढ़कर पहले तो उन्होंने सोचा कि लौट चलूं। परिवार के सदस्यों की याद आने लगी। फिर उन्हें लगा कि मैं यदि लौट भी जाऊंगा, तो सिर्फ अपने परिवार का पेट पालूंगा या फिर परिवार पर बोझ साबित होऊंगा।

इससे बेहतर है कि अपने लक्ष्य की ओर बढ़ा जाए। यह सोचकर उन्होंने अपने परिवार को पत्र लिखा और बताया कि वह मजे में हैं। उनकी चिंता न करें। इसके बाद बेंजामिन अपने लक्ष्य में जुट गए। उन्होंने अपने जीवन में इंसानों के जीवन में काम आने वाली विभिन्न वस्तुओं का आविष्कार किया जिसमें बिजली की छड़, आडोमीटर, बाईफोकल्स, फ्रेंजलिन स्टोव आदि प्रमुख हैं। सबसे सराहनीय बात यह है कि उन्होंने जितने भी आविष्कार किए, उनको कभी पेटेंट नहीं कराया जिसका लाभ सभी को मिला।

-अशोक मिश्र

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