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बच्चियों को साहसी और आत्मविश्वासी बनाना होगा

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हरियाणा सरकार ने स्कूलों में छात्राओं की सुरक्षा के उपाय करने शुरू कर दिया हैं। सरकारी स्कूलों में छात्राओं का यौन उत्पीड़न पिछले कुछ वर्षों से बढ़ता जा रहा है। उचाना के सरकारी स्कूल में हुई घटना से पूरे प्रदेश में रोष है। यह मुद्दा अभी हाल में खत्म हुए विधानसभा के सत्र में विपक्षी दलों ने बहुत जोर-शोर से उठाया था। सरकार ने भी इस मामले में ही नहीं वर्ष 2005 तक स्कूलों में घटी ऐसी सभी घटनाओं की जांच कराने का आश्वासन दिया है।

इसके लिए शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी जल्दी ही उचाना की घटना सहित सभी पुरानी घटनाओं की सत्यता की जांच करेगी, इन मामलों में क्या कार्रवाई की गई, इन सबके बारे में एक रिपोर्ट तैयार करेगी और उस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। कमेटी की रिपोर्ट आने में अभी काफी समय है। तब तक सरकारी स्कूलों में छात्राओं को छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए स्कूल मुखिया और अध्यापकों को बाल सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इसके लिए सबसे पहले राज्य स्तर पर जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) के मुखिया और ब्लॉक संसाधन समन्वयकों (बीआरसी) और क्लस्टर संसाधन समन्वयकों (सीआरसी) को मास्टर ट्रेनर के तौर पर तैयार करने की योजना है। जब ये मास्टर ट्रेनर तैयार हो जाएंगे, तो ये ब्लाक स्तर पर स्कूल प्राचार्य और स्कूल मुखिया को प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये लोग अपने स्कूलों में अपने शिक्षक-शिक्षिकाओं को बाल सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करेंगे।

ये लोग स्कूल की छात्राओं से समय समय पर संवाद स्थापित करेंगे। महीने में विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक होगी जिसमें यदि कोई समस्या है, तो उस पर विचार किया जाएगा। उस समस्या का हल निकालने का प्रयास किया जाएगा। सरकारी स्कूलों में व्यापक पैमाने पर सुरक्षित स्कूल-सुरक्षित विद्यार्थी अभियान चलाने के निर्देश भी दिए गए हैं। यह सही है, जब तक स्कूल छात्र-छात्राओं के लिए सुरक्षित नहीं होगा, तब तक बच्चे निर्भय होकर शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकेंगे। भय मुक्त वातावरण में ही बच्चे और बच्चियां पढ़ाई कर सकते हैं।

बच्चियों को भी गुड टच और बैड टच में अंतर सिखाना होगा, ताकि वे किसी भी आदमी के छूने पर उसका मंतव्य जान सकें। उन्हें यह भी बताना होगा कि किसी भी स्थिति में उन्हें भयभीत नहीं होना है। उन्हें हर परिस्थिति का सामना बड़ी निडरता से करना होगा। उन्हें साहसी बनाना भी होगा। जब तक लड़कियों में आत्म विश्वास पैदा नहीं किया जाता है, तब तक सारे प्रयास निरर्थक साबित होंगे। उन्हें यह समझाना होगा कि वे स्कूल या बाहर दुर्व्यवहार होता है, तो वह तुरंत लोगों से मदद मांगें और घर आकर अपने परिजनों से तुरंत बताएं, ताकि आरोपी के खिलाफ कदम उठाया जा सके।

-संजय मग्गू

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