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एसवाईएल पर जिद छोड़ें मान हरियाणा को दें उसका हक

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सतलुज यमुना लिंक नहर का मामला पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की जिद की वजह से सुलझता नजर नहीं आ रहा है। वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल एसवाईएल मुद्दे को सुलझाने के लिए हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने इस मामले में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए सीएम मान को मिल बैठकर बातचीत करने को कहा है। उन्होंने सीएम मान को बाकायदा पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में यह बताने की कोशिश की है कि हरियाणा केवल अपना अधिकार मांग रहा है।

पंजाब से हरियाणा को अतिरिक्त पानी नहीं चाहिए। केवल उतना ही पानी हरियाणा लेगा, जितना बंटवारे के तहत उसे मिला हुआ है। उन्होंने पंजाब सरकार को एसवाईएल मामले में हर संभव सहयोग देने का वायदा भी किया है। किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री किसी मुद्दे को सुलझाने के लिए इससे ज्यादा क्या कर सकता है।

लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री हैं कि मान ही नहीं रहे हैं। उन्होंने एक तरह से जिद पकड़ रखी है कि वे एक बूंद भी पानी वे किसी भी दूसरे राज्य को नहीं देंगे। हकीकत यह है कि उनकी इस जिद की वजह से ढेर सारा पानी पाकिस्तान में बहकर जा रहा है। उन्हें पानी का बहकर पाकिस्तान जाना मंजूर है, लेकिन हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली को पानी देना मंजूर नहीं है।

पिछले दस वर्षों में सतलुज के पानी का औसतन 1.68 मिलियन एकड़ फीट और रावी-ब्यास के पानी का 0.58 एमएएफ पाकिस्तान की ओर चला गया है। इसका कारण एसवाईएल का पूर्ण न होना है। यदि एसवाईएल बनकर तैयार होता तो हर साल इतने पानी का उपयोग हरियाणा सहित दूसरे राज्य भी कर रहे होते। यदि पंजाब अपने हिस्से की नहर बनाकर पूरी कर दे, तो कम से कम तीन राज्यों को भरपूर पानी मिल सकेगा और इन राज्यों की जनता को पानी की समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा।

सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद काफी पुराना है। जब से हरियाणा राज्य बना है, तब से यह विवाद चला आ रहा है। इंदिरा गांधी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की सरकारें इस मसले को सुलझा पाने में नाकाम रही हैं। मामला सुप्रीमकोर्ट तक गया, लेकिन कभी पंजाब अपने पक्ष पर अड़ा रहा, तो कभी हरियाणा। दोनों के अपने-अपने तर्क हैं और दावे भी। एसवाईएल का मुद्दा सुलझने का नाम नहीं ले रहा है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस बारे में अपनी भरसक कोशिश कर रहे हैं कि यह मामला आपसी बातचीत से सुलझ जाए। उनका मुख्यमंत्री मान को लिखा गया पत्र इस बात का प्रमाण है। उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने इस मामले को बड़ी शिद्दत से उठाया था। अब एसवाईएल के मुद्दे पर गेंद पंजाब सीएम के पाले में है। वह इस मामले में क्या कदम उठाते हैं, यह देखना है।

-संजय मग्गू

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