महात्मा बुद्ध शायद दुनिया के ऐसे पहले दार्शनिक और संत थे जिन्होंने जीवन की सामान्य घटनाओं के माध्यम से शांति, अहिंसा और धर्म का पाठ पढ़या था। उन्होंने अन्य दार्शनिकों की तरह जीवन दर्शन को अबूझ बनाने की जगह उसका सरलीकरण किया। यही वजह है कि अपने समय में महात्मा बुद्ध सर्वाधिक लोकप्रिय हुए। एक बार की बात है। वह अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। उनके शिष्यों में एक शिष्य बहुत जिज्ञासु था। वह बुद्ध से कुछ न कुछ पूछता रहता था। महात्मा बुद्ध भी उसकी शंकाओं का समाधान करते रहते थे।
एक दिन उस शिष्य ने महात्मा बुद्ध से कहा कि महात्मन! जीवन में कभी पूर्ण शांति नहीं मिलती है। कोई ऐसा मार्ग बताइए जिससे जीवन में पूर्ण शांति का अनुभव हो। महात्मा बुद्ध ने कहा कि तुम्हारे सवाल का जवाब मिलेगा, लेकिन मुझे बहुत प्यास लगी है। पहले कहीं से जल लेकर आओ। यह सुनकर शिष्य तत्काल जल की खोज में निकल गया। थोड़ी दूर जाने पर उसे एक झील दिखाई दी। वह पानी भर पाता, उससे पहले कुछ बैलगाड़ियां उस झील के पानी से गुजरीं। झील का पानी गंदा हो गया।
शिष्य दूसरे जलस्रोत की तलाश में निकला। लेकिन उसे पानी नहीं मिला। लौटकर उसने बुद्ध को सारी बात बताई। उसने कहा कि मैं दूसरी दिशा में जाकर पानी तलाशता हूं। थोड़ी देर बाद लौटकर उसने बताया कि पानी नहीं मिला। बुद्ध ने उससे पहले वाली झील में जाने को कहा। कुछ देर बाद लौटकर उसने कहा कि पानी अब भी गंदा है। बुद्ध ने कुछ देर और ठहरकर जाने को कहा। इस बार पानी साफ हो गया था। लौटकर उसने बुद्ध को पानी दिया। पानी पीकर बुद्ध बोले, ठीक इसी प्रकार बुरे विचार हमारी शांति को गंदा कर देते हैं। यदि हम बुरे विचार रूपी गंदगी को त्याग दें, तो हमें आजीवन पूर्ण शांति का अनुभव होगा।
-अशोक मिश्र