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भगवान! दुश्मन को भी युद्ध की आग में न झोंके

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सूडान जल रहा है। पिछले दो वर्षों से सूडान की फसलों को आग निगल रही है। सूडान में चल रहे गृहयुद्ध में अब तक डेढ़ लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। एक करोड़ से अधिक लोग दूसरे देशों में शरण ले चुके हैं और अत्यंत दयनीय हालत में जीवन यापन कर रहे हैं। देश के अस्सी लाख लोग शरणार्थी कैंपों में रहने को मजबूर हैं। युद्ध या गृहयुद्ध कितना बुरा होता है, यह कोई जाकर सूडान के लोगों से पूछे जिनके भाग्य में ही शायद युद्ध लिख दिया गया है। ब्रिटिश हुकूमत से एक जनवरी 1956 को आजाद हुआ सूडान, आजादी के तत्काल बाद गृहयुद्ध की चपेट में आ गया। सत्रह साल तक गृहयुद्ध चला और देश का बंटवारा हो गया। अरबी और न्यूबियन मूल की बहुलता वाले इलाके उत्तरी सूडान के नाम से जाने गए। ईसाई और एनिमिस्ट निलोट्स वाला इलाका दक्षिणी सूडान बन गया।

अलग हुए सूडान ने अभी विकास की रफ्तार पकड़ी ही थी कि 1983 में दूसरा गृहयुद्ध छिड़ गया। जातीय, धार्मिक और आर्थिक मुद्दों को लेकर छिड़ा दूसरा गृहयुद्ध सन 2011 में खत्म हुआ। सूडान के भाग्य में जैसे शांति लिखी ही नहीं है। दो साल पहले अप्रैल 2023 में सरकार समर्थक सेना सूडान आर्म्स फोर्सेस और रैपिड सपोर्ट फोर्सेस के बीच जंग छिड़ गई। नतीजा यह हुआ कि 4.57 करोड़ की आबादी वाला देश एक बार फिर युद्ध जैसी विभीषिका झेलने को मजबूर है। युद्ध क्षेत्र में बने दस हजार चार सौ स्कूल-कालेज पिछले एक-डेढ़ साल से बंद हैं। लाखों बच्चे इन युद्ध क्षेत्र में फंसे हुए हैं। आपस में लड़ने वाले दो फोर्सेस के सैनिक इन बच्चों का अपनी तरह से उपयोग करते हैं। बच्चों और महिलाओं का यौन शोषण एक आम बात हो गई है। हालात  इतने बदतर हैं कि लोगों के पास खाने को अनाज नहीं है।

वे लोग घास और पेड़ों के पत्तों को खाने को मजबूर हैं। डच थिंक टैंक का अनुमान है कि यदि दुनिया भर के देशों ने सूडान की अनाज देकर मदद नहीं की, तो इस साल के अंत तक 25 लाख लोग मौत के मुंह में समा सकते हैं। वैसे भी पिछले एक साल में डेढ़ लाख से अधिक लोग गृहयुद्ध में मारे जा चुके हैं। साल 2027 तक साठ लाख से एक करोड़ लोगों के मरने का अनुमान है। अगर सन 2022 की जनगणना के आधार पर बात करें, तो एक चौथाई लोग आगामी दो-तीन सालों में गरीबी, बेकारी, भुखमरी और सैन्य कार्रवाइयों में मारे जा सकते हैं। इतना बड़ा नरसंहार अफ्रीका महाद्वीप के तीसरे सबसे बड़े देश में हो रहा है और इसकी कहीं कोई चर्चा भी नहीं हो रही है।

गाजा-इजराइल और रूस-यूक्रेन में हो रही मानव क्षति पर बहस और चिंता जताने वालों को सूडान की ओर भी देखना चाहिए। सबसे दुखद बात तो यह है कि सूडान में पिछले एक-डेढ़ साल से चल रहे गृहयुद्ध में विद्रोही गुटों की मध्य पूर्व के कुछ देश और रूस सहयोग कर रहे हैं। इन विद्रोही गुटों को अत्याधुनिक हथियार और आर्थिक मदद मुहैया कराई जा रही है। इस गृहयुद्ध के चलते सूडान के 245 शहर, कस्बे और गांव पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। अभी यह गृहयुद्ध कितने दिन चलेगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। सूडान की हालत को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि भगवान! दुश्मन को भी युद्ध की आग में न झोंके।

-संजय मग्गू

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