भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के प्रमुखों का कार्यकाल 5 साल से बढ़ाकर 7 साल करने की योजना है। यह कदम सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि के प्रस्ताव के अनुरूप है, जिसे वर्तमान में 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की सिफारिश की गई है। यह प्रस्ताव PSB के प्रबंधन में स्थिरता और निरंतरता लाने के लिए है। वर्तमान में, PSB के प्रमुखों का कार्यकाल 5 साल का होता है, जो अक्सर अस्थिरता और अनिश्चितता का कारण बनता है। लंबा कार्यकाल PSB के प्रमुखों को दीर्घकालिक नीतियों और दृष्टिकोणों को तैयार करने और लागू करने में सक्षम करेगा।
सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि का प्रस्ताव भी PSB के प्रमुखों के लिए एक और अवसर प्रदान करेगा। इससे वे अपने अनुभव और कौशल को लंबे समय तक बैंकों के लिए समर्पित कर सकेंगे। हालाँकि, इस प्रस्ताव का कुछ लोगों ने विरोध भी किया है। उनका तर्क है कि इससे PSB में नौकरशाही बढ़ेगी और युवा और ऊर्जावान नेताओं को आगे बढ़ने के अवसर नहीं मिलेंगे।
यह भी तर्क दिया गया है कि PSB के प्रमुखों का कार्यकाल बढ़ाने से वे अपने पद का दुरुपयोग कर सकते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकते हैं। सरकार को इन सभी मुद्दों पर विचार करना होगा और यह तय करना होगा कि क्या PSB के प्रमुखों के कार्यकाल में वृद्धि करना उचित है। यदि सरकार इस प्रस्ताव को लागू करती है, तो यह PSB के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा। यह देखना होगा कि यह बदलाव कैसे काम करता है और क्या यह PSB को मजबूत और कुशल बनाने में मदद करता है।
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