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इजरायल जाने में हरियाणवीं युवाओं ने नहीं दिखाई रुचि

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इजरायल भेजे जाने को दस हजार श्रमिकों के लिए निकाले गए विज्ञापन की समय सीमा तो बीत गई है, लेकिन आवेदन करने वालों की संख्या छह हजार से ज्यादा नहीं पहुंची है। इजरायल ने फ्रेमवर्क, शटरिंग कारपेंटर और आयरन बेंडिंग के लिए तीन-तीन हजार, सेरेमिक टाइल और प्लास्टिरिंग के काम के लिए दो-दो हजार लोगों की जरूरत बताई है। अखबारों से मिली जानकारी के अनुसार वैसे तो इजरायल को एक लाख श्रमिकों की जरूरत है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कुछ दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी को फोन करके इस मामले में सहयोग प्रदान करने की बात की थी। वैसे यदि देखा जाए, तो यह भारत के बेरोजगार युवाओं के लिए एक बेहतरीन मौका है। वे इजरायल में जाकर अपनी बेरोजगारी दूर कर सकते हैं। लेकिन यह भी सच है कि इजरायल में परिस्थितियां सामान्य नहीं हैं। सात अक्टूबर से वहां युद्ध चल रहा है। एक ही देश के दो हिस्से आपस में युद्धरत हैं।

गाजा पट्टी तो पूरी तरह तबाह और बरबाद हो चुकी है। इजरायल के रिहायशी इलाकों को भी कम नुकसान नहीं पहुंचा है। वहां निर्माण कार्य शुरू होने वाला है। इसके लिए उसे श्रमिक चाहिए। युद्ध शुरू होने के बाद भारत सरकार ने वहां से अपने ढेर सारे नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया था, लेकिन अभी 18 हजार नागरिक वहां रह रहे हैं। उन्होंने इन विषम परिस्थितियों में भी वापस लौटना उचित नहीं समझा। अब जब लक्ष्य से कम आवेदन आए हैं, ऐसी स्थिति में हरियाणा रोजगार कौशल निगम एक बार फिर समय सीमा बढ़ाते हुए विज्ञापन निकालने की सोच रहा है।

इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को निर्णय लेना है। हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली और चेन्नई में भी इजरायल के लिए भर्तियां होनी हैं। 27 दिसंबर से इन जगहों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। इजरायल में कोई भी श्रमिक पांच साल तक ही काम कर सकता है। हर साल उसका वीजा बढ़ाया जाएगा। बीबीसी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में सबसे बड़ी दिक्कत भारतीय श्रमिकों के सामने यह आएगी कि उसे जितने भी दिन इजरायल में रहना है, उसको अपने रहने और खाने की व्यवस्था खुद करनी होगी। इन श्रमिकों को मासिक आधार पर वेतन नहीं मिलेगा। हर महीने इनके खाते में लगभग एक लाख 34 हजार रुपये जमा होते रहेंगे।

इसे निकालने या खर्च करने का अधिकार तब मिलेगा, जब वे वहां का काम खत्म करके स्वदेश लौटने वाले होंगे। एक श्रमिक पर हर महीने खाने पर भारतीय मुद्रा में लगभग छह हजार और रहने पर तीन हजार रुपये खर्च होंगे। इसकी व्यवस्था इन्हें खुद करनी होगी। अब इजरायल में काम करने वाले व्यक्ति को पांच साल तक अपने रहने और खाने की व्यवस्था करके ही जाना होगा, तभी उसका गुजारा संभव है।

-संजय मग्गू

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