दिल्ली उच्च न्यायालय (high court delhi:)ने चुनाव चिह्न केवल मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों के लिए आरक्षित रखने संबंधी निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई जनता पार्टी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
कार्यवाहक(high court delhi:) मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने पहले भी इस मुद्दे पर निर्णायक निर्णय दिए हैं।
पीठ ने कहा कि राजनीतिक दल चुनाव चिह्न को अपनी “विशेष” संपत्ति नहीं मान सकते, और यह साफ है कि निराशाजनक प्रदर्शन के कारण कोई भी दल अपना चुनाव चिह्न खो सकता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि जनता पार्टी एक मान्यता प्राप्त पार्टी थी और इसलिए वह अपने चुनाव चिह्न “हल लिया किसान” का उपयोग जारी रखना चाहती थी। वकील ने यह भी कहा कि चुनाव चिह्न राजनीतिक दल की स्वाभाविक संपत्ति होती है, चाहे वह मान्यता प्राप्त हो या नहीं।
निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने अदालत में कहा कि यह मुद्दा पहले याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा उठाया गया था, और शीर्ष अदालत ने इस पर पहले ही निर्णय दिया था।
अंत में, पीठ ने कहा, “उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर, आदेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की जाती है।”