अशोक मिश्र
डॉ. हावर्ड एटवुड केली का जन्म 20 फरवरी 1858 को न्यू जर्सी में हुआ था। उनका परिवार राजनीति, रियल एस्टेट और प्रशासनिक सेवा से जुड़ा हुआ था। उनकी मां धार्मिक विचारों वाली महिला थी और उन्हें बाइबिल पढ़ाती थी। 1877 को उन्होंने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल में दाखिला लिया था। कहा जाता है कि जब वह पढ़ाई करते थे, तो अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए घर-घर जाकर सामान बेचा करते थे। एक दिन ऐसा हुआ कि उनका उस दिन कोई सामान नहीं बिका। शाम हो चुकी थी। उन्हें भूख भी लगी थी। उनके पास पैसे भी नहीं थे। उन्होंने एक बार फिर कुछ घरों में अपना सामान बेचने का प्रयास किया। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी निराशा हाथ लगी। तब उन्होंने सोचा कि अगला जो भी घर आएगा, उस घर से वह खाने को कुछ मांग लेंगे। उन दिनों लोग इतने सहृदय हुआ करते थे कि भूखे को खाना खिलाने से उन्हें परहेज नहीं हुआ करता था। अगले घर में जब उन्होंने दरवाजा खटखटाया, तो एक लड़की ने दरवाजा खोला। वह देखते ही समझ गई कि यह लड़का भूखा है। केली ने उस लड़की को देखा, तो संकोचवश वह खाना मांगने की जगह एक गिलास पानी मांग बैठे। लड़की घर से एक गिलास दूध लेकर आई और केली को दे दिया। कई साल बाद वह लड़की बीमार पड़ गई। उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। तब हावर्ड केली को बुलाया गया। उस लड़की को देखते ही वह पहचान गए। उन्होंने उस लड़की का आपरेशन किया। कुछ दिनों बाद उस लड़की के हाथ में लिफाफा थमाया तो वह घबरा गई कि वह इतनी फीस कैसे चुकाएगी। तब केली ने कहा कि किसी ने एक गिलास दूध बदले सारा बिल चुकता कर दिया है। यह सुनकर वह लड़की रो पड़ी।
बोधिवृक्ष : डॉ. केली ने चुकाया एक गिलास दूध का कर्ज
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