भारत में चीतों (India Cheetah: )के पुनर्वास कार्यक्रम के तहत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया जैसे दक्षिणी गोलार्ध के देशों से लाए गए चीतों में जैविक परिवर्तन की समस्याओं के कारण उनकी जीवित रहने की दर पर चिंता जताई गई है। इन समस्याओं से बचने के लिए भारत भविष्य में सोमालिया, तंजानिया, सूडान, और उत्तरी गोलार्ध के अन्य देशों से चीते मंगाने पर विचार कर रहा है।
India Cheetah: तीन चीतों की हो चुकी है मृत्यु
आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों के बीच ‘सर्केडियन रिदम’ यानी जीव-जंतुओं में शारीरिक, मानसिक, और व्यवहारिक परिवर्तनों के कारण भारत में कुछ चीतों ने अफ्रीकी सर्दियों की आशंका के चलते भारत की गर्मी और मानसून के दौरान खुद को सर्दियों से बचाव के लिए अनुकूलित किया था। इसका नतीजा यह हुआ कि तीन चीतों—एक नामीबियाई मादा और दो दक्षिण अफ्रीकी नर—की पीठ और गर्दन पर हुए घावों में संक्रमण फैल गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
अक्टूबर के पहले सप्ताह के बाद वयस्क चीतों को छोड़ा जाएगा
इन चिंताओं के बावजूद, नए चीते लाने के लिए दक्षिणी गोलार्ध के देशों के साथ बातचीत जारी है। हालांकि, अब भारत ने उत्तरी गोलार्ध के देशों से चीते लाने पर भी विचार शुरू कर दिया है, ताकि उन्हें स्थानीय पर्यावरण, जलवायु और परिस्थितियों में ढलने में कम समय लगे। सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में भारत का ध्यान तात्कालिक मुद्दों को हल करने पर है, जिसमें शिकार के लिए अधिक क्षेत्र तैयार करना और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को विकसित करना शामिल है। संचालन समिति की हालिया बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मानसून की वापसी के बाद, भारत में पैदा हुए अफ्रीकी चीतों और उनके शावकों को चरणबद्ध तरीके से जंगल में छोड़ा जाएगा। अक्टूबर के पहले सप्ताह के बाद वयस्क चीतों को छोड़ा जाएगा, जबकि शावकों और उनकी माताओं को दिसंबर के बाद छोड़ा जाएगा।फिलहाल, सभी 25 चीते—13 वयस्क और 12 शावक—स्वस्थ हैं और उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाया गया है और संक्रमण रोकने के लिए दवा दी गई है।