डाटा प्रोटेक्शन और साइबर सुरक्षा को लेकर पूरी दुनिया युद्ध स्तर पर काम कर रही है। भारत सरकार भी लगातार इस दिशा में प्रगति कर रही है। इसी कड़ी में सोशल मीडिया के लिए भी नए कानून लाए गए। साइबर सुरक्षा की तरफ कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ी घोषणा की है। मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि सेना से जुड़े सभी कम्प्यूटर्स से जल्द ही विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम हटाया जाएगा। इसके बदले स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम MayaOS इनस्टॉल किया जाएगा। माना जा रहा है कि लगातार बढ़ते साइबर हमलों के मामले और डाटा लीक के खतरे को देखते हुए मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। हम आज इस नए ऑपरेटिंग सिस्टम को जानने की कोशिश करते हैं।
क्या है Maya ऑपरेटिंग सिस्टम
माया ओएस एक नया ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह उबंटू (Ubuntu) पर आधारित है। Ubuntu एक लोकप्रिय लिनक्स वितरक है, जो मुफ्त और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है। रक्षा मंत्रालय ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सी-डीएसी) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियों की मदद से माया ओएस विकसित किया है। कहा गया है कि यह निःशुल्क है। अधिक सुरक्षित है। माया को साइबर खतरों को विफल करने और माइक्रोसॉफ्ट जैसी वैश्विक तकनीकी कंपनियों द्वारा बनाए गए ओएस पर निर्भरता को कम करने के लिहाज से पेश किया जा रहा है।
डाटा भी साइबर खतरों से सुरक्षित
इस नए ऑपरेटिव सिस्टम को लेकर दावा किया गया है कि यह साइबर खतरों को रोकने में सक्षम है। इसका एक कारण तो यह है कि कोई भी साइबर अपराधी ज्यादातर वायरस लोकप्रिय प्लेटफॉर्म के लिए तैयार करते हैं। ताकि बड़ी संख्या में जब एक ही तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम पर बड़ी संख्या में लोग काम करेंगे तो वायरस फैलाने में मदद मिलेगी।
दूसरी तरफ MayaOS चक्रव्यू फीचर से लैस है जो कि एक फायरवॉल की तरह काम करता है। यह एक एंटीमैलवेयर एंटीवायरस की तरह भी काम करता है। दावा किया जा रहा है कि MayaOS का चक्रव्यू, यूजर और इंटरनेट के बीच एक वर्चुअल लेयर बनाता है जिसमें हैकर घुस नहीं सकते।
मेक इन इंडिया का सपना हुआ साकार
माया ओएस को रक्षा मंत्रालय द्वारा ‘विकसित’ किया गया है। यह साल के अंत तक आएगा। जानकारी के मुताबिक फिलहाल इसका ट्रायल किया जा रहा है।
माया नाम क्यों?
माया ओएस नाम हिंदी के भ्रम शब्द से लिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि माया नाम उन हैकरों के विचार को दर्शाता है, जो रक्षा मंत्रालय की प्रणाली में सेंध लगाने की कोशिश करते समय भ्रम का सामना करते हैं।