इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association:) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा को पत्र लिखकर डॉक्टरों और अस्पतालों पर हो रहे हमलों से निपटने के लिए एक केंद्रीय कानून की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है। आईएमए ने प्रस्ताव रखा कि 2019 के मसौदा विधेयक को ध्यान में रखते हुए, महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम, 2020 के संशोधित खंडों और केरल सरकार के कोड ग्रे प्रोटोकॉल को शामिल कर एक अध्यादेश जारी किया जाए। यह अध्यादेश डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के मन में सुरक्षा का विश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से होना चाहिए।
Indian Medical Association: बैठक करने के लिए आईएमए ने नड्डा का किया आभार व्यक्त
आईएमए ने मंगलवार और बुधवार को अपने प्रदेश अध्यक्षों, सचिवों और रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया। इस दौरान उन्होंने अस्पतालों में हिंसा की घटनाओं, कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा, और रेजिडेंट डॉक्टरों की काम करने और रहने की स्थिति पर एक केंद्रीय कानून की आवश्यकता पर बल दिया।आईएमए ने 13 अगस्त को अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के लिए नड्डा के प्रति आभार व्यक्त किया और उनके सुझावों को स्वीकार करने के लिए धन्यवाद दिया। इस बैठक के बाद, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने नए मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने के लिए पूर्व शर्त के रूप में सुरक्षा उपायों पर एक परामर्श जारी किया। एनएमसी का यह परामर्श आईएमए प्रतिनिधिमंडल और नड्डा के बीच हुई बैठक के एक घंटे बाद जारी किया गया। इस परामर्श में मेडिकल कॉलेजों के लिए सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।
हड़ताल से चिकित्सा सेवाएं हो रही हैं प्रभावित
आईएमए ने 17 अगस्त को पूरे भारत में, दुर्घटनाओं और आपात स्थितियों को छोड़कर, चिकित्सा सेवाओं को वापस लेने का आह्वान किया था। इस हड़ताल में देश के लगभग सभी जिलों में चिकित्सा सेवाएं व्यापक रूप से प्रभावित रहीं। आईएमए ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त केंद्रीय कानून की मांग की, ताकि वे बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। इस मुद्दे को लेकर आईएमए ने केंद्रीय सरकार से जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने की अपील की है।