आज से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ इस सत्र की शुरुआत की है। वर्तमान लोकसभा का यह आखिरी सत्र है। इस बार का बजट कई मायनों में खास हो सकता है इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर डिफेंस सेक्टर्स के लिए बड़ा ऐलान हो सकता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 1 फरवरी 2024 को 2024-25 (Interim Budget 2024) पेश करेंगी। दूसरी तरफ देखा जाएं तो देश के वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 6वां बजट पेश करने वाली हैं। हालांकि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट नई सरकार के गठन के बाद पेश किया जाएगा। दरअसल, 2024 में आम चुनाव होने वाला है और अभी तक इसके तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है।
बजट को ठीक तरह से समझने के लिए आपको उसमें इस्तेमाल होने वाले शब्दों के बारें में जानकारी होना बेहद जरुरी है अक्सर लोग बजट तो पढ़ लेते है लेकिन उन्हें उसका अर्थ नहीं पता होता अगर आप भी इसी तरह कंफ्यूज रहते है तो जान लीजिए बजट में शामिल कुछ जरुरी शब्दों के बारें में –
1 – हलवा सेरेमनी (Halwa Ceremony): सबसे पहले जान लेते है कि बजट सत्र की शुरुआत कैसे होती है। जैसा की सभी जानते है कि भारतीय परंपरा के अनुसार किसी भी शुभ काम की शुरुआत मीठे से होती है। इसीलिए बजट पेश करने से पहले संसद में वित्त मंत्रालय बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों और अधिकारियों का मुंह मीठा करवाया जाता है जिसे हलवा सेरेमनी कहा जाता है।
2 – एफएम (Finance Minister): वित्त मंत्रालय के प्रमुख को वित्त मंत्री कहा जाता है लेकिन इसके अलावा सत्र के दौरान वित्त मंत्री को फिनमिन या एफएम के नाम से भी जाना जाता है।
3 – वित्त वर्ष (Financial Year): वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है और ये अगले साल 31 मार्च तक चलता है। ऐसे में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलने वाले वित्तीय वर्ष के दौरान होने वाले लेनदेन को रिकॉर्ड रखा जाता है। इसी के आधार पर सरकार आगे का काम शुरू या ख़त्म करती है।
4 – राजकोषीय घाटा: इसके बारें में हर नागरिक को जानना बेहद जरूरी होता है। इससे पता लगाया जाता है कि सरकार को कितना घाटा हुआ है और कितना मुनाफा। अगर ज्यादा कमाई हो तो उसे ‘Fiscal Revenue’ कहा जाता है और घाटा होने पर उसे ‘Fiscal Deficit’ कहा जाता है।
5 – Finance Appropriation Bill: इस बिल की मदद से पता चलता है कि सरकार ने पूरे वित्तीय वर्ष में कितनी कमाई की है। यह जानकारी सरकार द्वारा सत्र के सामने रखी जाती है। इसके अलावा रेवेन्यू एक्सपेंडिचर (Revenue Expenditure) के द्वारा जिसका इस्तेमाल विभिन्न परियोजनाओं और कर्मचारियों की सैलरी या जितने भी खर्च की जरूरत होती है उसके लिए किया जाता है।