भारतीय परंपरा में व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है। इन त्योहारों के माध्यम से हम अपने सांस्कृतिक धरोहर को सजीव रूप में बनाए रखते हैं। तीज भी उनीति, परंपरा और रस्मों की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भारतीय महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
तीज का महत्व:
तीज हिन्दू कैलेंडर के आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व महिलाओं की श्रद्धा और भक्ति की प्रतीक होता है, जिसमें वे अपने पतियों के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। तीज को विवाहित और युवतियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
परंपरागत धारोहर:
तीज का पर्व महिलाओं की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस पर्व के माध्यम से महिलाएं अपनी परंपरागत सामर्थ्य को अद्भुत ढंग से प्रकट करती हैं। वे विशेष तौर पर सिंदूर, मेहंदी और सारी की श्रृंगारिक वस्त्र पहनकर इस उत्सव का आनंद लेती हैं।
व्रत और उपवास:
तीज के दिन महिलाएं नीर के पास जाकर स्नान करती हैं और फिर उपवास करती हैं। यह उपवास उनकी पतियों के लंबे और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना के रूप में होता है। तीज के दिन महिलाएं बिना भोजन के रहती हैं और रात्रि में ही व्रत को खोलती हैं।
खास भोजन:
तीज के दिन व्रती महिलाएं साग-गट्टे की स्पेशलिटी, मेवे के परांठे, दही वड़े आदि खाती हैं। ये खाने में स्वादिष्ट होते हैं और व्रती महिलाओं के लिए एक प्रकार का बेहद खास भोजन माने जाते हैं।
तीज के उत्सव:
तीज के दिन सभी महिलाएं एकट्ठा होती हैं और विभिन्न रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर नृत्य और गीत का आनंद लेती हैं। यहाँ तक कि कई स्थानों पर तीज की महिलाएं विशेष रूप से सांग और नृत्य का प्रदर्शन करती हैं, जिससे तीज का आत्मा महसूस होता है।
समाज में तीज:
तीज उपवास का दिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह समाज में सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। इस दिन महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर मनोरंजन करती हैं और आपसी बंधन को मजबूत करती हैं।
निष्कर्ष:
तीज एक धार्मिक उत्सव होने के साथ-साथ महिलाओं की सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह पर्व महिलाओं की सामर्थ्य, आत्मविश्वास और समर्पण को प्रकट करने का एक महान अवसर होता है, जो उनके परिवार और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।