जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ब्रम्हलीन हो गए हैं। शनिवार रात 2 बजकर 30 बजे महाराज ने समाधि ले ली। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली। आचार्य का जाना जैन समाज के लोगों के लिए भारी क्षति है। जब भी लोगों का मन उदास होता था परेशान रहता था। लोग आचार्य से मिलने चले आते थे लेकिन अब उनकी सुनने वाले महाराज विद्यासागर इस दुनिया से बहुत दूर जा चुके है। ऐसे में आज हम आपको जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे जिन्हें जानकार आप भी दंग रहे जाएंगे।
विद्यासागर जी संस्कृत, प्राकृत सहित विभिन्न आधुनिक भाषाओं हिन्दी, मराठी और कन्नड़ में विशेषज्ञ स्तर का ज्ञान था। उन्होंने हिन्दी और संस्कृत के विशाल मात्रा में रचनाएँ की। सौ से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य का मास्टर्स और डॉक्ट्रेट के लिए अध्ययन किया गया है। महाराज ने काव्य मूक माटी की भी रचना की, जो कि विभिन्न संस्थानों में स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।
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आचार्य विद्यासागर जी कई धार्मिक कार्यों में प्रेरणास्रोत रहे हैं। आचार्य विद्यासागर जी के शिष्य मुनि क्षमासागर जी ने उन पर आत्मान्वेषी नामक जीवनी भी लिखी है। इस पुस्तक का अंग्रेज़ी अनुवाद भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित हो चुका है। मुनि प्रणम्यसागर जी ने उनके जीवन पर अनासक्त महायोगी नामक काव्य की रचना की है।
आचार्य विद्यासागर के जीवन से जुड़ी जानकारी
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का कोई बैंक खाता नही था और न ही कोई ट्रस्ट था, वह अपने शरीर पर कोई वस्त्र नहीं पहनते थे इसलिए उनके पास कोई जेब भी नही थी। उन्हें न तो कोई मोह माया था न वह अपने ऊपर अरबो रुपये निछावर करवाते थे। गुरुदेव ने कभी धन को स्पर्श तक नहीं किया।
उनके लिए यह सब संसारिक बंधन है जिनसे वह बेहद दूर रहते थे।
1 – महाराज ने आजीवन चीनी का त्याग किया था।
2 – आजीवन नमक को हाथ नहीं लगाया।
3 – आजीवन चटाई का त्याग किया।
4 – आजीवन हरी सब्जी का त्याग, फल का त्याग, अंग्रेजी औषधि का त्याग,सिर्फ सीमित ग्रास (हरा) भोजन, सीमित अंजुली जल, वह भी 24 घण्टे में एक बार 365 दिन।
5 – आजीवन दही का त्याग और सूखे मेवा (dry fruits) का त्याग
6 – आजीवन तेल का त्याग, साथ ही सभी प्रकार के भौतिक साधनो का भी त्याग किया।
7 – थूकने का त्याग
8 – एक करवट में शयन बिना चादर, गद्दे, तकिए के सिर्फ तखत पर किसी भी मौसम में।
9 – पुरे भारत में सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले
10 – एक ऐसे संत जो सभी धर्मो में पूजनीय है।
11 – महाराज पुरे भारत में एक ऐसे आचार्य जिनका लगभग पूरा परिवार ही संयम के साथ मोक्षमार्ग पर चल रहा है।
12 – शहर से दूर खुले मैदानों में नदी के किनारो पर या पहाड़ो पर अपनी साधना करना
13 – अनियत विहारी यानि बिना बताये विहार करना
14 – प्रचार प्रसार से दूर- मुनि दीक्षाएं, पीछी परिवर्तन इसका उदाहरण,
15 – आचार्य देशभूषण जी महराज जब ब्रह्मचारी व्रत से लिए स्वीकृति नहीं मिली तो गुरुवर ने व्रत के लिए 3 दिवस निर्जला उपवास किया और स्वीकृति लेकर माने।
16 – ब्रह्मचारी अवस्था में भी परिवार जनो से चर्चा करने अपने गुरु से स्वीकृति लेते थे
और परिजनों को पहले अपने गुरु के पास स्वीकृति लेने भेजते थे ।
17 – प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति सभी के पद से अप्रभावित साधना में रत गुरुदेव
हजारो गाय की रक्षा , गौशाला समाज ने बनाई। हजारो बालिकाओ के लिए संस्कारित आधुनिक स्कूलों का निर्माण
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