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Krishi Chauhan:कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिट्टी की खराब होती उर्वरता पर चिंता व्यक्त की

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कृषि मंत्री शिवराज सिंह (Krishi Chauhan:)चौहान ने मंगलवार को मिट्टी की खराब होती उर्वरता पर  चिंता व्यक्त की, जिससे भारत की लगभग 30 प्रतिशत भूमि प्रभावित हो रही है। उन्होंने टिकाऊ कृषि के लिए मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। ‘मृदा’ पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए चौहान ने कहा कि भूख को समाप्त करने, जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने और भूमि पर जीवन से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए मृदा की गुणवत्ता में सुधार जरूरी है।

चौहान (Krishi Chauhan:)ने कहा, ‘‘हम हर साल 33 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन कर रहे हैं और 50 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का निर्यात कर रहे हैं। हालांकि, यह सफलता चिंता के साथ आई है, खासकर मृदा की गुणवत्ता के संदर्भ में।’’उन्होंने बताया कि भारत की करीब 30 प्रतिशत भूमि उर्वरकों के असंतुलित उपयोग, बढ़ती उर्वरक खपत, प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन और गलत मृदा प्रबंधन के कारण प्रभावित हो रही है। कृषि मंत्री ने किसानों को 22 करोड़ से अधिक मृदा गुणवत्ता कार्ड वितरित करने, सूक्ष्म सिंचाई, जैविक और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने जैसी सरकारी पहलों का उल्लेख किया।

चौहान (Krishi Chauhan:)ने इस बात पर भी जोर दिया कि बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए, और अधिक केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच की खाई को पाटने के लिए जल्द ही एक नया कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जो आधुनिक कृषि तकनीकों पर आधारित होगा।

कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों में संरक्षित कृषि पद्धतियों और जुताई रहित विधियों के सफल कार्यान्वयन का उदाहरण देते हुए सवाल उठाया कि भारत और दक्षिण एशिया में इन पद्धतियों को सीमित रूप से क्यों अपनाया जा रहा है। चंद ने सम्मेलन में यह भी कहा कि हालांकि कुछ गैर सरकारी संगठन और निजी कंपनियां पुनर्योजी कृषि और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, लेकिन इन पहलों का दायरा सीमित है। उन्होंने भारतीय मृदा वैज्ञानिक सोसायटी (आईएसएसएस) से इन समाधानों को बड़े पैमाने पर लागू करने का आह्वान किया।सम्मेलन में आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक, पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष त्रिलोचन महापात्रा और आईएसएसएस के अध्यक्ष एच पाठक भी उपस्थित थे।

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