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Krishi DSS: फसल प्रबंधन में सुधार: कृषि मंत्रालय ने शुरू की कृषि-डीएसएस प्रणाली

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सरकार ने शुक्रवार को किसानों के लिए एक उपग्रह आधारित कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (कृषि-डीएसएस) लॉन्च की, जो फसल प्रबंधन और पैदावार बढ़ाने में सहायक होगी। इस प्रणाली (Krishi DSS: )का उद्देश्य किसानों को महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करना है जो उन्हें खेती के विभिन्न चरणों में सूचित निर्णय लेने में मदद करेगा। कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने इस भू-स्थानिक मंच का शुभारंभ किया, जो फसल की स्थिति, मौसम प्रणालियों, जल संसाधनों और मृदा की स्थिति संबंधी जानकारी प्रदान करेगा।

Krishi DSS: कीटों के हमले  के बारे में पूर्व चेतावनी

कृषि-डीएसएस को सरकार की ‘गति शक्ति’ पहल के समान प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किया गया है। इस मंच का एक मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के बीच किसानों को आवश्यक जानकारी और पूर्वानुमान प्रदान करना है। कृषि-डीएसएस उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों और डेटा का उपयोग करके संभावित आपदाओं जैसे कि कीटों के हमले और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बारे में पूर्व चेतावनी जारी करेगा।

इसरो के अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक ने क्या कहा

इस अवसर पर कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कृषि में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लाभों पर जोर दिया। उन्होंने फसलों की अधिक से अधिक किस्मों में दूर संवेदी (रिमोट सेंसिंग) तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग करने से कृषि उत्पादन में सुधार होगा और किसानों को अपने फसल प्रबंधन में अधिक कुशलता हासिल करने में मदद मिलेगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम देसाई ने भी कृषि क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत में 1969 से ही कृषि क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का प्रयोग हो रहा है, और अब समय आ गया है कि इनका उपयोग धान और गेहूं के अलावा अन्य फसलों में भी किया जाए।

बेहतर निर्णय ले सकेंगे किसान

कृषि-डीएसएस मंच को अंतरिक्ष विभाग के आईआरएनएसएस-1ए और वेदास (VEDAS) प्रणाली का उपयोग करके विकसित किया गया है। यह मंच किसानों को उनकी फसलों के बारे में विस्तृत जानकारी और विश्लेषण प्रदान करेगा, जिससे वे बेहतर निर्णय ले सकेंगे और उनकी पैदावार में वृद्धि होगी। इस पहल को कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है, जो किसानों की मदद के लिए एक नई दिशा में कदम बढ़ाएगा।

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