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Maha Kumbh Govansh:महाकुंभ मेले में देशी गोवंश की प्रदर्शनी की योजना

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक(Maha Kumbh Govansh:) वीडियो से प्रेरणा लेते हुए जयपुर के उद्यमी राहुल शर्मा ने महाकुंभ मेले में देशी गोवंश की नस्लों को प्रदर्शित करने की योजना बनाई है। यह वीडियो, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी छोटे कद काठी की ‘पुंगनूर’ गाय को दुलारते हुए दिख रहे हैं, सोशल मीडिया पर खूब प्रसारित हुआ था।

‘नमामि गौ मातरम फाउंडेशन’ के (Maha Kumbh Govansh:)संस्थापक राहुल शर्मा ने बताया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी को पुंगनूर गाय को दुलारते देख मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों ना विश्व के सबसे बड़े समागम में देशी गोवंश की प्रदर्शनी लगाई जाए ताकि लोग भारतीय नस्ल की गायों को देख सकें और उनके बारे में जान सकें।’’

प्रयागराज मेला प्राधिकरण में मुलाकात के दौरान शर्मा ने बताया कि भारत में अब भी देसी गोवंश की करीब 37 नस्लें बची हैं, जिनमें से कई लुप्त होने की कगार पर हैं। उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए एक ही स्थान पर इनका प्रदर्शन करने से लोगों को इस अनूठी विरासत पर गर्व होगा। उन्होंने कहा कि आज अधिक दूध के लालच में अधिकतर लोग जर्सी गायों का दूध पी रहे हैं, जोकि गुणवत्ता के लिहाज से देशी गायों के दूध के सामने कहीं नहीं टिकता।

शर्मा ने (Maha Kumbh Govansh:)बताया कि उन्होंने प्रयागराज मेला प्राधिकरण में जमीन आवंटन के लिए आवेदन किया है और आवंटित जमीन के आकार के आधार पर प्रदर्शित होने वाली गायों की संख्या तय की जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने देशी गायों की तस्वीर के साथ एक कैलेंडर और एक लघु पुस्तिका बनाई है, जिसका अनावरण उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हाल में किया है।

उनकी योजना महाकुंभ मेले में बैल चालित कोल्हू लगाने, किफायती गोबर गैस प्लांट, हवन में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री ‘गो समिधा’ और अन्य उपक्रमों को भी प्रदर्शित करने की है जिससे ग्रामीण लोग देशी गोवंश को पालने के लिए प्रोत्साहित हों।

शर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री के साथ पुंगनूर गाय की फोटो और वीडियो प्रसारित होने के बाद से पुंगनूर गाय की मांग जबरदस्त ढंग से बढ़ी है और हर रसूखदार व्यक्ति इस गाय को पालने की चाहत रखता है। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री अपने राज्य की लुप्त हो रही देशी गोवंश का स्वयं प्रचार करना शुरू कर दें तो निश्चित तौर पर यह एक बड़ी पहल होगी।

उदाहरण के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की गंगातीरी गाय, बिहार की बछौर गाय, उत्तराखंड की बद्री गाय, राजस्थान की राठी गाय, और मध्य प्रदेश की निमारी गाय का उल्लेख किया। यदि इन प्रदेशों के मुख्यमंत्री स्वयं इन नस्लों को बढ़ावा देने लगें तो देशी गोवंश के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति होगी।

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