Saturday, February 22, 2025
18.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeLATESTmahakumbh 2025 :महाकुंभ में किन्नर अखाड़े को मिली नई पहचान

mahakumbh 2025 :महाकुंभ में किन्नर अखाड़े को मिली नई पहचान

Google News
Google News

- Advertisement -

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में किन्नर(mahakumbh 2025 🙂 अखाड़े में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। आशीर्वाद लेने पहुंचे लोगों की संख्या ने इस उम्मीद को मजबूत किया है कि समाज आखिरकार किन्नर समुदाय को स्वीकार करेगा। दस साल पहले जब किन्नर अखाड़े का पंजीकरण कराया गया था, तब समुदाय को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब, तीन हजार से अधिक किन्नर अखाड़े में रह रहे हैं और संगम में पुण्य स्नान कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश वे हैं, जिन्हें उनके परिवारों ने त्याग दिया था।

किन्नर अखाड़े (mahakumbh 2025 :)की महामंडलेश्वर पवित्रा नंदन गिरि ने कहा, “समाज ने हमेशा हमें तिरस्कार की दृष्टि से देखा है। जब हमने अखाड़े का पंजीकरण कराने की कोशिश की, तो हमारे धर्म और अस्तित्व पर सवाल उठाए गए। हमें पूछा गया कि इसकी क्या जरूरत है? लेकिन हमने 10 साल पहले इसे पंजीकृत कराया और यह हमारा पहला महाकुंभ है।”

अखाड़े वे संस्थाएं होती हैं, जो विशिष्ट आध्यात्मिक परंपराओं और अनुष्ठानों के तहत संतों को एकजुट करती हैं। गिरि ने आगे कहा, “आज हम भी संगम में डुबकी लगा सकते हैं, अन्य अखाड़ों की तरह शोभायात्रा निकाल सकते हैं और अनुष्ठान कर सकते हैं। यहां भारी संख्या में श्रद्धालु हमारे आशीर्वाद के लिए कतार में खड़े हैं। हमें उम्मीद है कि समाज भी हमें स्वीकार करेगा।”

नर्सिंग स्नातक कर चुकीं गिरि ने बताया कि कैसे उनके परिवार ने उन्हें छोड़ दिया, जैसा कि कई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ होता है। उन्होंने कहा, “बचपन में मैं अपने भाई-बहनों के साथ खेलती थी, इस बात से अनजान कि मैं उनसे अलग हूं। लेकिन जब सच्चाई सामने आई, तो सभी ने मुझसे अछूत जैसा व्यवहार किया। मैंने पढ़ाई पूरी की, लेकिन भेदभाव का सामना करना पड़ा। हमारे लिए जीवन आसान नहीं है।”

अखिल भारतीय किन्नर अखाड़ा महाकुंभ में 14वां अखाड़ा है। महाकुंभ में पहले से मौजूद 13 अखाड़ों को तीन समूहों में विभाजित किया गया है— संन्यासी (शैव), बैरागी (वैष्णव) और उदासीन। प्रत्येक अखाड़े को विशिष्ट अनुष्ठानों के लिए समय निर्धारित किया जाता है।

महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण(mahakumbh 2025 🙂 त्रिपाठी ने कहा कि महाकुंभ में उन्हें अन्य संतों के समान सम्मान मिल रहा है। उन्होंने कहा, “हम प्रार्थनाओं में भाग ले रहे हैं, भजन गा रहे हैं और यज्ञ कर रहे हैं। श्रद्धालु हमसे एक रुपये के सिक्के लेने के लिए कतार में खड़े हैं। जब कोई किन्नर आशीर्वाद देता है, तो इसे शुभ माना जाता है। समाज इस तथ्य को जानता है, फिर भी हमें पूरी तरह स्वीकार करने से कतराता है। लेकिन अखाड़े ने अब आध्यात्मिकता पर हमारे अधिकार को सशक्त कर दिया है।”

महाकुंभ में मौजूद 13 अखाड़ों में जूना अखाड़ा सबसे पुराना और सबसे बड़ा माना जाता है। किन्नर अखाड़े की उपस्थिति महाकुंभ के आध्यात्मिक परिदृश्य में एक नई शुरुआत को दर्शाती है, जिससे समाज में समावेशिता और मान्यता की एक नई राह खुल रही है।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments