प्रयागराज महाकुम्भ(MAHAKUMBH 2025🙂 में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। त्रिवेणी के तट पर आने वाले हर श्रद्धालु की ख्वाहिश होती है कि वह त्रिवेणी के पवित्र जल को अपने साथ घर ले जाएं। इस ख्वाहिश को ध्यान में रखते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार अब रेलवे और बस स्टेशनों पर त्रिवेणी का जल उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। इसकी जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंप दी गई है।
प्रयागराज, (MAHAKUMBH 2025:)जिसे पुण्य भूमि के रूप में जाना जाता है, यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम का मिलन होता है, जिससे इस जल का अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। माघ मेला, कुम्भ और महाकुम्भ में लाखों श्रद्धालु यहां स्नान करने आते हैं और संगम का पवित्र जल अपने साथ ले जाते हैं। हालांकि, महाकुम्भ के दौरान अत्यधिक भीड़ के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को त्रिवेणी का जल नहीं मिल पाता है। लेकिन इस बार श्रद्धालुओं को इस जल के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। अब प्रयागराज के सभी रेलवे स्टेशन और बस स्टेशनों पर बोतलबंद और कलश में त्रिवेणी का जल उपलब्ध होगा, और यह कार्य स्वयं सहायता समूह की महिलाएं करेंगी।
उपायुक्त(MAHAKUMBH 2025:) एनआरएलएम राजीव कुमार सिंह के अनुसार, महाकुम्भ को ध्यान में रखते हुए सरकार के निर्देश पर यह विशेष व्यवस्था की जा रही है। इसके तहत, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड और धार्मिक स्थानों पर गंगाजल वितरित करेंगी। राजीव कुमार सिंह ने बताया कि यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत एक हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को गंगाजल की बिक्री के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। अगर यह योजना सफल होती है, तो इन महिलाओं की संख्या और बढ़ाई जाएगी, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
त्रिवेणी का जल विशेष रूप से धातु से बने कलश और बोतलों में पैक किया जाएगा। इसे सुरक्षित और आकर्षक बनाने के लिए मूंज की डिजाइनर डलियां तैयार की गई हैं। प्रयागराज के महेवा गांव की मूंज उत्पादक महिलाओं ने इन डलियों को तैयार किया है। जल की पैकिंग एक लीटर, आधे लीटर और 250 मिलीलीटर के पैक में होगी। इससे न केवल श्रद्धालुओं को त्रिवेणी का पवित्र जल मिलेगा, बल्कि प्रयागराज के ओडीओपी (एक जनपद एक उत्पाद) की ब्रांडिंग भी होगी।