एक सप्ताह (mahakumbh2025:)में प्रारंभ होने जा रहे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम में साधु-संत अपनी कुटिया बसा चुके हैं। लेकिन इस मेले में एक ऐसे संत भी हैं, जो कुटिया के बजाय एक विशेष बस में प्रवास करते हैं। यह सफेद रंग की बस, जिसमें एक संपूर्ण देवालय स्थापित है, सभी का ध्यान आकर्षित कर रही है। यह बस संगम लोअर मार्ग के सेक्टर-18 में अलोपशंकरी चौराहे के पास शिविर में खड़ी है और इसमें कथित तौर पर विश्व का सबसे वजनी ‘स्फटिक’ शिवलिंग रखा गया है।
स्वामी (mahakumbh2025:)सच्चिदानंद चैतन्य जी ने बताया कि इस बस को उनके गुरु श्री लक्ष्मण चैतन्य ब्रह्मचारी जी ने वर्ष 1992 में उज्जैन सिंहस्थ कुम्भ के लिए तैयार कराया था। इसे ‘श्री श्री हरसिद्धि’ नाम दिया गया, जो हर सिद्धियों की प्रदाता मानी जाती है। इसके बाद इस बस के माध्यम से देशभर के तीर्थस्थलों का भ्रमण किया गया।डॉ. श्री लक्ष्मण चैतन्य ब्रह्मचारी महाराज, धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य थे और वाराणसी में अखिल भारतीय धर्म संघ के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे। गुरु जी ने इस बस के ऊपर एक विशेष टंकी बनवाई थी, जिसमें सभी प्रमुख तीर्थों और सरोवरों का पवित्र जल एकत्र किया गया। फिर, इन 12 ज्योतिर्लिंगों का जल इस स्फटिक शिवलिंग पर अभिषेक के लिए उपयोग किया गया।
स्वामी (mahakumbh2025:)सच्चिदानंद ने बताया कि 2001 में गुरु जी काशी में ब्रह्मलीन हो गए। इसके बाद उनकी शिष्या, डॉ. कल्याणी चैतन्य ब्रह्मचारिणी (गुरु मां), ने अपना जीवन इस बस में व्यतीत किया। 2023 में गुरु मां ने भी शरीर त्याग दिया। यह बस उनके जप-तप और तीर्थ यात्रा का साक्षी रही है।
यह बस एक मोबाइल आश्रम के रूप में तैयार की गई थी। इसमें रसोई, शौचालय और अनाज भंडारण की सुविधा थी। पीछे के हिस्से को मंच में परिवर्तित किया जा सकता है। हालांकि, इतने पुराने मॉडल (टाटा 1210) के कल-पुर्जे अब उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन मैकेनिक इसे देखकर प्रेरित हो जाते हैं और जुगाड़ से इसे कार्यशील बनाए रखते हैं।बस में रखा स्फटिक शिवलिंग, जो 65 किलो वजनी है, गुरु जी द्वारा स्थापित किया गया था। स्वामी सच्चिदानंद का दावा है कि यह शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा स्फटिक शिवलिंग है।इस बस और इसमें स्थापित शिवलिंग ने मेले में श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बना दिया है।