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Masjid College:उदय प्रताप कॉलेज परिसर में वक्फ बोर्ड के दावे पर विवाद

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वाराणसी के उदय प्रताप (Masjid College:)कॉलेज परिसर के भीतर एक मस्जिद और उसके सामने की जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे से विवाद खड़ा हो गया है, जिसे कॉलेज प्रशासन ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। 2018 में कॉलेज को एक नोटिस मिला जिसमें दावा किया गया कि परिसर में स्थित मस्जिद और कॉलेज की जमीन टोंक के नवाब द्वारा वक्फ बोर्ड को दान की गई थी।

कॉलेज (Masjid College:)के प्राचार्य डीके सिंह ने बताया कि वाराणसी निवासी वसीम अहमद खान की ओर से भेजे गए इस नोटिस का तत्कालीन कॉलेज सचिव ने उसी समय जवाब दिया था, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई है और कॉलेज की संपत्ति न्यास की है, जिसे न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है। सिंह ने बताया कि 2022 में वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिद में निर्माण का प्रयास किया गया, जिसे कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर पुलिस ने रुकवा दिया।

प्राचार्य ने यह भी आरोप लगाया कि मस्जिद में कॉलेज के कनेक्शन से चोरी कर बिजली का उपयोग किया जा रहा था, जिसे कटवा दिया गया। पुलिस उपायुक्त (वरुणा जोन) चंद्रकांत मीणा ने कहा कि 2022 में कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर मस्जिद में निर्माण कार्य रुकवा दिया गया था।

मस्जिद (Masjid College:)में नियमित आने वाले मनउर रहमान ने बताया कि मस्जिद और उसके सामने कुछ एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि यह मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है और उन्हीं के समय से यहां है। रहमान ने कहा कि बिजली का कनेक्शन कॉलेज और मस्जिद प्रशासन के आपसी समझौते से जोड़ा गया था और प्रशासन ने हाल ही में इसकी बिजली काट दी।उन्होंने कहा कि उनके पास पहले के बिजली आपूर्ति के कागजात भी हैं और यहां कोई विवाद नहीं है, बल्कि बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है। हम यहां नवाब टोंक के जमाने से नमाज कर रहे हैं।

उदय प्रताप स्वायत्त कॉलेज की स्थापना राजर्षि उदय प्रताप सिंह जुदेव ने समाज में मूल्यों का निर्माण करने के उद्देश्य से 1909 में की थी। तब इसे हीवेट क्षत्रीय हाईस्कूल कहा जाता था, जो 1921 में इंटरमीडिएट कॉलेज बन गया और इसका नाम उदय प्रताप इंटरमीडिएट कॉलेज रखा गया। 1949 में यहां स्नातक कक्षाएं शुरू होने के बाद यह डिग्री कॉलेज बन गया। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कॉलेज के 115वीं स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया था।

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