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हरियाणा में वन और वृक्ष आवरण क्षेत्र को बढ़ाने की जरूरत

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सोनीपत के गोहाना की ठसका ग्राम पंचायत की जमीन पर उगे 150 जाल वृक्षों को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला बहुत ही सराहनीय है। यह फैसला बताता है कि अदालतें किस तरह देश और प्रदेश के पर्यावरण और विरासत को लेकर सजग हैं। मामला यह है कि ठसका ग्राम पंचायत की जमीन पर प्रदेश सरकार पुलिस लाइन और पुलिस थाने का निर्माण करना चाहती है। उसने जमीन का सर्वेक्षण भी करवा लिया है। लेकिन वन विभाग ने इस जमीन पर सौ साल पुराने 150 जाल के वृक्षों को विरासत बताते हुए यहां पर किसी प्रकार के निर्माण की अनुमति देने से मना कर दिया। इसके बावजूद जब सरकार ने अपनी योजना में कोई तब्दीली नहीं की, तो नेशनल एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट प्रोटेक्शन सेल को मजबूर होकर हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी।

हाईकोर्ट ने सभी परिस्थितियों पर विचार करते हुए सरकार को आदेश दिया है कि यदि एक भी जाल वृक्ष को नुकसान पहुंचाए बिना यहां पुलिस लाइन और पुलिस थाने का निर्माण किया जा सकता है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। यदि एक भी वृक्ष को नुकसान पहुंचने की आशंका हो, तो सरकार किसी दूसरी जमीन पर पुलिस लाइन और पुलिस थाना का निर्माण करने की बात सोचे। हालांकि, सरकार ने इन वृक्षों के लिए प्राण वायु देवता स्कीम के तरह पेंशन देने को तैयार थी, लेकिन हाईकोर्ट ने यह बात मानने से इनकार कर दिाय। सरकार को यह बात समझनी चाहिए कि एक तो वैसे ही प्रदेश में वन क्षेत्र जरूरत से बहुत कम है।

ऐसी स्थिति में डेढ़ सौ जाल के वृक्षों को नष्ट करना कहां तक उचित है। हरियाणा के 22 जिलों में से 21 में 20 प्रतिशत से कम वन और वृक्ष आवरण है। अपने कुल क्षेत्रफल का केवल 6.7 प्रतिशत हिस्सा कवर करने वाले हरियाणा में भारत में सबसे कम वन और वृक्ष क्षेत्र है। वृक्षों की सबसे अधिक संख्या यमुनानगर, अंबाला, सिरसा, भिवानी और हिसार में पाई गई है। फरीदाबाद में पेड़ों की गिनती सबसे कम थी। इसके बाद कुरुक्षेत्र, पलवल, गुड़गाँव और रोहतक हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में वृक्ष आवरण में भी तेजी से गिरावट देखी जा रही है, वर्ष 2019 से 2020 तक वृक्ष आवरण (वन क्षेत्र को छोड़कर) में 140 वर्ग किमी. की कमी आई है।

ऐसी स्थिति में सबसे जरूरी है कि प्रदेश में वन क्षेत्र और वृक्ष आवरण को अधिक से अधिक बढ़ाया जाए। इस बात से इनकार नहीं है कि पुलिस लाइन और पुलिस थाना का निर्माण करना जरूरी है, लेकिन जाल वृक्षों को नुकसान पहुंचाकर ही इनका निर्माण किया जा सकता है, यह बात समझ से परे है। इसके लिए सरकार गोहाना या ठसका ग्राम पंचायत की दूसरी जमीन चुन सकती है। इससे हमारे प्रदेश की विरासत भी बचेगी और पर्यावरण सुरक्षा भी हो सकेगी।

-संजय मग्गू

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