चीन से संबंधित मामलों पर विशेषज्ञ माने जाने वाले अनुभवी राजनयिक विक्रम मिस्री ने आज देश के नए विदेश सचिव (New Foreign Secretary : ) का पदभार संभाल लिया। भारतीय विदेश सेवा के 1989 बैच के अधिकारी मिस्री ने विनय क्वात्रा का स्थान लिया है। मिस्री ने ऐसे वक्त में यह महत्वपूर्ण पद संभाला है जब भारत विदेश नीति की कई चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रहा है, जिसमें पूर्वी लद्दाख सीमा पर जारी गतिरोध के बाद चीन के साथ उसके तनावपूर्ण संबंध भी शामिल हैं।
New Foreign Secretary : तीन प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनुभव प्राप्त
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के माध्यम से कहा, ‘श्री विक्रम मिस्री ने आज विदेश सचिव के तौर पर प्रभार संभाला। विदेश मंत्रालय विदेश सचिव मिस्री का गर्मजोशी से स्वागत करता है और उन्हें सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देता है।’ मिस्री इससे पहले राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे। उन्हें तीन प्रधानमंत्रियों – इंदर कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी के निजी सचिव के रूप में काम करने का अनुभव प्राप्त है।
2019-21 तक चीन में भारत के राजदूत थे
राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार नियुक्त होने से पहले वह 2019-2021 तक चीन में भारत के राजदूत थे। ऐसा माना जाता है कि मिस्री ने जून 2020 में गलवान घाटी में झड़पों के कारण पैदा हुए तनाव के बाद भारत और चीन के बीच वार्ता में अहम भूमिका निभायी। गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया। यह दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। अपने शानदार करियर में मिस्री स्पेन (2014-16) और म्यांमा (2016-18) में भारत के राजदूत भी रहे। इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान, अमेरिका, जर्मनी, बेल्जियम और श्रीलंका समेत कई भारतीय दूतावासों में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दीं।