राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT:) ने कहा है कि उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गों पर तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित नहीं है तथा राज्य के पर्यावरण विभाग के सचिव से पूछा कि अगर दुर्घटना हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा।
NGT: तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित है
एनजीटी केदारनाथ, हेमकुंड साहिब, यमुनोत्री और गोमुख के तीर्थमार्गों पर घोड़ों का मल और उनके शवों सहित कचरे को फेंकने के बारे में एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि 10 मई 2022 के राज्य सरकार के परिपत्र के अनुसार बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या क्रमशः 16,000, 13,000, 8,000 और 5,000 निर्धारित की गई थी। पीठ ने कहा कि 21 अप्रैल 2023 के परिपत्र द्वारा तीर्थयात्रियों की संख्या तय करने वाले पहले के परिपत्र को वापस ले लिया गया था।
वहन क्षमता निर्धारित नहीं
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल हैं। अधिकरण ने 31 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि अधिकरण के समक्ष यह निर्विवाद है कि आज की स्थिति में श्री बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के मार्गों पर तीर्थयात्रियों के लिए अस्थायी आधार पर भी कोई वहन क्षमता निर्धारित नहीं है तथा उन मार्गों पर तीर्थयात्रियों की संख्या के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है। फैसले में कहा गया है कि राज्य सरकार के वकील के अनुसार, चारों तीर्थस्थलों की वहन क्षमता के बारे में रिपोर्ट प्राप्त करने में एक वर्ष का समय लगेगा और इस पृष्ठभूमि में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि तीर्थयात्रियों की अनियंत्रित संख्या के कारण दुर्घटना हो सकती है और किसी को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।
पर्यावर सचिव से भी सवाल
एनजीटी ने कहा कि इन परिस्थितियों में, हम (राज्य के) पर्यावरण विभाग के सचिव को सुनवाई की अगली तारीख (12 सितंबर) पर ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित होने और वहन क्षमता के अभाव में किसी भी असामयिक दुर्घटना के बारे में आवेदक के वकील की दलीलों के संबंध में अपना रुख बताने का निर्देश देते हैं। पीठ ने कहा कि पर्यावरण सचिव यह भी बताएं कि ऐसे मामले में नुकसान की भरपाई कैसे की जाएगी और इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
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