राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA Bihar:) ने प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बिहार के दो जिलों में सात स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान आपत्तिजनक डिजिटल उपकरण, दस्तावेज और गोला-बारूद जब्त किए गए। एक आधिकारिक बयान में शनिवार को यह जानकारी दी गई।
NIA Bihar: रोहतास और कैमूर में छापेमारी
एनआईए ने बताया कि भाकपा (माओवादी) के दो प्रमुख नेताओं विजय कुमार आर्य और उमेश चौधरी की गिरफ्तारी से जुड़े मामले में शुक्रवार को कैमूर जिले के पांच और रोहतास जिले के दो स्थानों पर छापेमारी की गई थी। बयान के अनुसार, दोनों नेताओं को अप्रैल 2022 में रोहतास से पकड़ा गया था और उस समय आर्य के पास से ‘लेवी’ रसीदें, पर्चे और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए थे। आर्य और चौधरी के अलावा तीन अन्य आरोपी, अनिल यादव उर्फ अनिल व्यास, राजेश कुमार गुप्ता और रूपेश कुमार सिंह, वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। एनआईए ने इस मामले में उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दायर किया है।
दस्तावेज की जांच जारी
शुक्रवार की छापेमारी के दौरान एनआईए ने मोबाइल फोन, सिम कार्ड, मेमोरी कार्ड, डिजिटल उपकरण, आपत्तिजनक दस्तावेज, डायरियां और गोला-बारूद जब्त किए हैं। बयान में कहा गया है कि भाकपा (माओवादी) कैडर द्वारा भर्ती और ‘लेवी’ संग्रह के माध्यम से संगठन को पुनर्जीवित करने के प्रयासों की सूचना जुटाने के लिए इन उपकरणों और दस्तावेज की जांच जारी है।
सुरक्षा एजेंसियां माओवादी खतरे को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध
एनआईए के अनुसार, छापेमारी का मुख्य उद्देश्य माओवादी संगठन के पुनर्गठन और वित्तीय नेटवर्क को ध्वस्त करना था। संगठन के नेताओं और सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए एनआईए ने उन्हें न्याय के कटघरे में लाने का प्रयास किया है। एनआईए की इस कार्रवाई का उद्देश्य माओवादी गतिविधियों को रोकना और बिहार में शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखना है। संगठन की भर्ती और फंडिंग पर प्रभाव डालने के लिए यह छापेमारी महत्वपूर्ण है। एनआईए की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि सुरक्षा एजेंसियां माओवादी खतरे को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।