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युद्ध और खेल का मिश्रित रूप है ओलंपिक

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अभी कल ही झज्जर की शूटर मनु भाकर ने कांस्य पदक जीतकर भारत को पदकों की सूची में लाकर खड़ा कर दिया है। ओलंपिक ही एकमात्र ऐसा खेल आयोजन है जिसका इतिहास बारह सौ साल पुराना है। दरअसल, उन दिनों योद्धा ही खिलाड़ी हुआ करते थे। जिन दिनों की बात कर रहे हैं, उन दिनों युद्ध और खेल एक दूसरे समानार्थी हुआ करते थे। आधिकारिक तौर पर पहला ओलंपिक 776 ईसा पूर्व आयोजित किया गया था। प्राचीन ग्रीक के पेलोपोन्नीस शहर में ओलंपिया पर्वत के किनारे यह प्रतिस्पर्धा आयोजित होने के कारण इसे ओलंपिक कहा गया जो हर चार साल में आयोजित किया जाता था। ग्रीक में यह खेल 393 ईस्वी तक आयोजित किया जाता रहा।

आधुनिक ओलंपिक खेल यूनान की राजधानी एथेंस में 1896 में फ्रांस के बैरन पियरे डी कुबर्टिन के प्रयास से शुरू हुए। वैसे तो दुनिया भर में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, लेकिन ओलंपिक ही एक मात्र ऐसा आयोजन है जिसमें भाग लेने वाला हर खिलाड़ी इंसानी हिम्मत, ताकत और क्षमताओं का इंतहान देता है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को बाधा दर बाधा पार करते हुए अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित करना पड़ता है। दुनिया भर से आए खिलाड़ियों के बीच अपने को साबित करते हुए विजयी होना, बहुत बड़ी बात है। करोड़ों साल के जैविक विकास क्रम को पार करते हुए मनुष्य आज जहां तक पहुंचा और उसने जो क्षमताएं हासिल की हैं, उसके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का नाम ही ओलंपिक है। प्राचीन काल में जब ओलंपिक आयोजित किए जाते थे, तो वह जीवन मरण का प्रश्न होता था। योद्धा रूपी खिलाड़ी जानते थे कि तनिक भी चूक का मतलब मौत।

ऐसी स्थिति में खिलाड़ी अपने प्रत्येक क्षमता, प्रतिभा और कला का प्रदर्शन करता था। मरना है या मारना है, प्रत्येक खिलाड़ी का यही ध्येय होता था। यही वजह है कि आज भी खेल को एक तरह का युद्ध ही माना जाता है। आज बस फर्क इतना आया है कि पराजित होने वाले प्रतिस्पर्धी को मरना नहीं पड़ता है। लेकिन जीत के लिए भावना वही पुरानी वाली रहती है कि अगर जरा सी चूक हुई तो पदक गया। यह पदक ही साबित करता है कि वह दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। यह श्रेष्ठता की भावना ही खिलाडियों को और अच्छा और अच्छा करने को प्रेरित करती है।

ओलंपिक ही वह जगह है, जहां हर तरह के जोखिम उठाए जाते हैं। यह हर असंभव को संभव करके दिखाने का प्रयास किया जाता है। उसैन बोल्ट ने 43.99 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़कर बता दिया था कि यदि इंसान चाहे तो वह अपनी क्षमता को मशीनों से आगे तक ले जा सकता है। बोल्ट का 100 मीटर में 9.58 सेकेंड का समय अब तक का सबसे तेज व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ वैधानिक समय है। ओलंपिक खेलों में भाग लेना ही सबसे बड़ी चुनौती है। इन खेलों के लिए श्रेष्ठ खिलाड़ी ही चुने जाते हैं। बस, इन श्रेष्ठों को अपने को सर्वश्रेष्ठ साबित करना होता है।

-संजय मग्गू

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