छोटी उम्र के बच्चों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जुड़े आंकड़े चिंताजनक(Parenting Tips: ) हैं। मात्र दो साल का बच्चा भी घंटों मोबाइल में खोया रहता है। बच्चों को मोबाइल देना एक गंभीर समस्या का प्रारंभिक चरण हो सकता है, जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर गहरा असर डाल सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, दो साल से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल देना खतरनाक है। वहीं, 10 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को केवल दो से तीन घंटे ही मोबाइल का इस्तेमाल करना चाहिए, वह भी एक घंटे से ज्यादा एक साथ नहीं।
Parenting Tips: खाते वक्त स्क्रीन टाइम विकास में बाधा
मोबाइल देखकर बच्चों को खाना खिलाना माता-पिता के लिए आसान हो सकता है, लेकिन यह बच्चों के दिमाग और मन पर बुरा असर डालता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि 90% बच्चे स्मार्टफोन देखते हुए ही खाना खाते हैं, विशेष रूप से जब वे दो साल से कम उम्र के होते हैं। यह आदत बच्चे के विकास को बाधित कर सकती है और उसे आभासी दुनिया का आदी बना सकती है। बच्चों में स्क्रीन टाइम बढ़ने से ऑटिज्म और एडीएचडी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
पाचन शक्ति हो सकती है कमजोर
मोबाइल के माध्यम से खाना खिलाने से बच्चे का विकास रुक जाता है और वह इस आदत का गुलाम बन सकता है। इससे बच्चे की पाचन शक्ति भी कमजोर हो सकती है, क्योंकि वह बिना चबाए ही खाना निगलता है। इसके साथ ही, मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बच्चों की आंखों और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
सामाजिक नहीं बन पाते हैं बच्चे
बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए पेरेंटिंग के दौरान स्क्रीन टाइम, स्लीप हाइजीन, और टाइम मैनेजमेंट जैसी स्किल्स पर ध्यान देना जरूरी है। स्लीप हाइजीन के लिए बच्चों के बेडरूम को एक सुखद स्थान बनाना चाहिए। सोने से पहले कहानियां सुनाना, संगीत सुनाना या कुछ फिजिकल एक्टिविटी करवाना बच्चों के लिए फायदेमंद हो सकता है। कई माता-पिता सोचते हैं कि मोबाइल से बच्चा भाषा सीखेगा, लेकिन ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों की रचनात्मकता कम हो जाती है। वे बाहर की चीजों से कट जाते हैं और सामाजिक बातचीत का मौका खो देते हैं। इसलिए, माता-पिता को बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करने और उनके विकास के लिए एक स्वस्थ और खुशहाल माहौल बनाने पर जोर देना चाहिए।