केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मेधावी विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता देने के लिए पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत, जो भी छात्र गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थानों (QHEI) में दाखिला लेंगे, वे बिना किसी गिरवी के या जमानतदार के ऋण प्राप्त कर सकेंगे। यह ऋण पाठ्यक्रम के सभी खर्चों, जैसे ट्यूशन शुल्क आदि के लिए होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “शिक्षा को अधिक सुलभ बनाने के लिए यह एक बड़ा कदम है। मंत्रिमंडल ने पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी है, जो युवा शक्ति को सशक्त बनाने और हमारे राष्ट्र के उज्जवल भविष्य के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
इस योजना के लिए 3,600 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है, जिससे देश के 860 प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों (क्यूएचईआई) में दाखिला लेने वाले छात्रों को शिक्षा ऋण मिलेगा। इस योजना से हर साल 22 लाख से अधिक छात्रों को लाभ होगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय कारणों से किसी भी युवा को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कोई रुकावट न हो।”
यह योजना उन संस्थानों में लागू होगी, जो राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग (NIRF) के तहत शीर्ष 100 में आते हैं, और इसमें सरकारी एवं निजी दोनों तरह के संस्थान शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार के उच्च शिक्षा संस्थान और केंद्र सरकार द्वारा संचालित सभी संस्थान भी इस योजना में शामिल होंगे।
पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना के तहत, छात्रों को 7.5 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा और 75% ऋण गारंटी दी जाएगी। इसके अलावा, जिन छात्रों की पारिवारिक आय 8 लाख रुपये तक है, उन्हें 10 लाख रुपये तक के ऋण पर 3% ब्याज छूट भी मिलेगी। इस योजना का उद्देश्य गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद करना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस योजना को “गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों को सशक्त बनाने” वाला कदम बताया और कहा कि इससे भारत के युवाओं को उनके सपनों को पूरा करने में मदद मिलेगी।