केंद्र सरकार (punjab farmer:)के “उदासीन” रवैये की आलोचना करते हुए किसानों के एक समूह ने अपने नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के समर्थन में बुधवार को आमरण अनशन शुरू कर दिया। यह कदम तब उठाया गया है जब डल्लेवाल का अनिश्चितकालीन अनशन 51वें दिन में प्रवेश कर गया है। 70 वर्षीय डल्लेवाल पिछले साल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर हैं। किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया है।
डल्लेवाल(punjab farmer:) के बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर प्रदर्शनकारी किसानों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक अनशन के कारण उनके कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं। बताया गया है कि डल्लेवाल का कीटोन स्तर बढ़ गया है, मांसपेशियों का द्रव्यमान कम हो गया है, और उनका शरीर पानी भी नहीं पचा पा रहा है। इसके बावजूद डल्लेवाल ने चिकित्सीय सहायता लेने से इनकार कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी 2023 से खनौरी और शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। उस समय सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति नहीं दी थी।
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने केंद्र सरकार पर किसानों की मांगों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि डल्लेवाल का अनशन 51वें दिन में प्रवेश कर गया है, लेकिन सरकार न तो बातचीत के लिए तैयार है और न ही उनकी मांगों को पूरा कर रही है।
डल्लेवाल के समर्थन में अब 111 किसानों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। कोहाड़ ने कहा कि किसान भावुक होकर शांतिपूर्ण तरीके से इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।
इस बीच(punjab farmer:), केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गतिरोध पर कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार काम करेगी। उच्चतम न्यायालय ने 20 दिसंबर 2023 को डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर निर्णय लेने की जिम्मेदारी पंजाब सरकार और चिकित्सकों पर डाल दी थी।
संयुक्त किसान मोर्चा, किसान मजदूर मोर्चा और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) अब केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष की रणनीति तैयार कर रहे हैं। हालांकि, 2020 के कृषि कानून विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाला एसकेएम इस बार एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आंदोलन का हिस्सा नहीं है।