उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (R.G.KAR Hospital: )में एक महिला चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के मामले में कोलकाता पुलिस द्वारा अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में हुई देरी को बेहद परेशान करने वाली बताया। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पुलिस द्वारा कानूनी औपचारिकताओं में हुई देरी पर सवाल उठाया और कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि मृत पीड़िता का पोस्टमार्टम नौ अगस्त को शाम छह बजकर 10 मिनट पर किया गया, जबकि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने की सूचना ताला पुलिस थाने को नौ अगस्त की रात साढ़े 11 बजे भेजी गई।
R.G.KAR Hospital: डाक्टरों का काम पर लौटने को कहा
न्यायालय ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों से काम पर लौटने को कहा और आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। न्यायालय ने निर्देश दिया कि कोलकाता पुलिस के अधिकारी, जिन्होंने पहली प्रविष्टि दर्ज की, अगले सुनवाई पर उपस्थित होकर बताएं कि प्रविष्टि किस समय दर्ज की गई।
तुषार मेहता ने क्या बताया
सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मृत पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे प्राथमिकी दर्ज की गई। मेहता ने कहा कि राज्य पुलिस ने पहले इसे आत्महत्या का मामला बताया, फिर हत्या का मामला दर्ज किया। पीड़िता के मित्र ने मामले में संदेह जताते हुए वीडियोग्राफी की मांग की थी। न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर चिकित्सक काम पर नहीं लौटेंगे, तो जन स्वास्थ्य ढांचे पर असर पड़ेगा। न्यायालय ने चिकित्सक संगठनों को आश्वासन दिया कि राष्ट्रीय कार्यबल सभी हितधारकों की बात सुनेगा और काम पर लौटने के बाद प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी।
सीबीआई कर रही है मामले की जांच
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को महिला चिकित्सक का शव मिला था और पुलिस ने मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का आदेश 13 अगस्त को दिया, और सीबीआई ने 14 अगस्त से अपनी जांच शुरू की।