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राम-भरत मिलाव की कथा सुन भावुक हुए श्रद्धालु

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-रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई

 देश रोजाना, हथीन। शहर के गहलब रोड स्थित माता वैष्णोदेवी की गुफा वाला श्रीराम मंदिर परिसर में चल रही संगीतमयी श्रीरामकथा में कथावाचक कृष्णा प्रताप तिवारी ने श्रद्धालुओं को राम-भरत मिलाप की कथा सुनाई। कथा सुनकर श्रद्धालु भावुक हो गए। कथावाचक ने कहा कि जब भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास हुआ और यह बात भरत को पता चली तो वह सब कुछ छोड़ कर भाई राम को वापस लाने के लिए अपनी तीनों माताओं के साथ निकल पड़ते हैं। पीछे पीछे प्रजा भी साथ चल देती है।

निषाद राज से जानकारी लेकर भरत अपनी माताओं के साथ चित्रकूट पर्वत पर जाते हैं। जहां लक्ष्मण जंगल से लकड़ियां चुन रहे थे। जैसे ही चक्रवर्ती सेना और भरत को आते देखा। आग बबूला होकर राम के पास आते हैं और कहते हैं कि भरत बड़ी सेना के साथ हमारी ओर बढ़ रहा है। तभी राम मुस्कुराते हुए कहते हैं ठहर जाओ। अनुज भरत को आने तो दो। भरत राम के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगते हैं। फिर राम गले से लगाते हैं। भरत मिलाप के बाद तीनों माताओं का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं और माता सीता भी अपनी तीनों सास के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेती हैं। उसके बाद भरत पिता के बारे में राम से कहते हैं कि अब हमारे बीच पिता श्री नहीं रहे यह शब्द सुनकर श्री राम और सीता लक्ष्मण व्याकुल हो शोकाकुल रहने के बाद राम को अपने साथ ले जाने के लिए भरत मिन्नतें करते हैं। मंत्री सुमंत और प्रजा गण बार-बार उन्हें अपने साथ जाने के लिए मनाते हैं।

मगर श्री राम कहते हैं कि पिता के दिए हुए वचन का मर्यादा नहीं टूटे। इसके लिए हमें यहां रहने की अनुमति दें। रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई। यह कहकर लेने आए सभी लोगों को चुप करा देते हैं मगर भरत मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं। तब राम ने कहा प्रजा हित के लिए तुम्हें जाओ, अयोध्या के प्रजा जनों को देखना है। साथ में माताओं का भी दायित्व निर्वाह करना है। भरत ने श्री राम के चरण पादुका को अपने सर पर उठाकर आंखों में अश्रु के साथ वहां से विदा होते हैं। 14 वर्ष तक श्री राम के चरण पादुका को अयोध्या के राज सिंहासन पर रखकर खुद जमीन पर चटाई बिछाकर सन्यासी का जीवन व्यतीत करते हुए राजपाट संभालते हैं। कथा के दौरान बड़े ही उदास और व्याकुल मनसे श्री राम सीताराम का भजन कीर्तन करते हुए महा आरती के साथ प्रसंग समाप्त किया गया। कथा को लेकर आसपास में भक्तिमय माहौल बना हुआ है।

इस अवसर पर ओमप्रकाश गोयल ,रूपचंद गोयल, जय भगवान गोयल, संजय गोयल,अजय गोयल, मास्टर सुभाष चन्द गोयल, सतीश चंद गोयल, चौधरी नरेश चन्द सिंगला, जय सिंह चौहान आदि भी विशेष रूप से भगवान श्रीराम की कथा सुनने के लिए मौजूद रहे।

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