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RBI Das: आरबीआई गवर्नर ने कहा, भारत की वृद्धि गाथा बरकरार

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास (RBI Das: )ने बृहस्पतिवार को कहा कि उपभोग तथा निवेश मांग में सुधार के साथ भारत की वृद्धि गाथा बरकरार है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भूमि, श्रम, और कृषि बाजारों में सुधार की आवश्यकता है। गवर्नर ने वित्तीय संस्थाओं से कहा कि वे जोखिम निर्धारण मानकों को कमजोर किए बिना महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए अनुकूल उत्पाद और सेवाएं पेश करें।

RBI Das: भारतीय अर्थव्यवस्था अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर

फिक्की और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा आयोजित वार्षिक एफआईबीएसी-2024 सम्मेलन में उद्घाटन भाषण में दास ने भारतीय अर्थव्यवस्था की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार, 2024-25 की पहली तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही। गवर्नर ने कहा कि वृद्धि की यह गाथा लगातार बनी हुई है, हालांकि पिछली तिमाही की तुलना में कुछ नरमी आई है। उन्होंने कहा कि निजी खपत सकल घरेलू उत्पाद का प्रमुख हिस्सा है, जो पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में 4 प्रतिशत की तुलना में 7.4 प्रतिशत हो गई है, जो ग्रामीण मांग के पुनरुद्धार का संकेत है।

मुद्रास्फीति की गति अक्सर अस्थिर रहती है

दास ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सरकारी खर्च में वर्ष की शेष तिमाहियों में बजट अनुमानों के अनुरूप गति आने की संभावना है। इससे 2024-25 के लिए 7.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान असंगत नहीं लगता है। उन्होंने जीएसटी और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) जैसे सुधारों के दीर्घकालिक सकारात्मक परिणामों का भी उल्लेख किया। कीमतों के मोर्चे पर, दास ने कहा कि मुद्रास्फीति की गति अक्सर अस्थिर रहती है और उच्च खाद्य मुद्रास्फीति से बाधित होती है। हालांकि, बेहतर मानसून और खरीफ की अच्छी बुवाई से खाद्य मुद्रास्फीति का परिदृश्य अधिक अनुकूल हो सकता है।

यूएलआई कुछ चुनिंदा कंपनियों का क्लब नहीं होगा

गवर्नर ने वित्तीय क्षेत्र को समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल मंचों के उपयोग को बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने ‘यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस’ (यूएलआई) मंच पर केवल विनियमित इकाइयों को ही अनुमति देने की बात कही, ताकि विवेकपूर्ण ऋण सुनिश्चित किया जा सके। दास ने जोर देकर कहा कि यूएलआई कुछ चुनिंदा कंपनियों का ‘क्लब’ नहीं होगा और वित्तीय संस्थाओं को महिलाओं और एमएसएमई के लिए उपयुक्त सेवाएं पेश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुधारों और नीति समर्थन से भारत की वृद्धि गाथा मजबूत बनी हुई है और इसमें और सुधार की संभावनाएं हैं।

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