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विधानसभा की एक तिहाई सीटों पर खेल बिगाड़ सकते हैं बागी

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भाजपा ने तो कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन आशीर्वाद रैली करवाकर बाकायदा चुनावी मुहिम शुरू कर दी है। इस रैली से भाजपा को मतदाताओं का कितना आशीर्वाद मिलेगा, इसका पता तो आठ अक्टूबर को ही पता चलेगा। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि अन्य राजनीतिक दलों की अपेक्षा भाजपा ने चुनाव अभियान शुरू करने के मामले में बाजी मार ली है। पीएम मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे तमाम फायरब्रांड नेता स्टार प्रचारकों की सूची में हैं। भाजपा की सूची में प्रदेश स्तर के नेता भी शामिल किए गए हैं। कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, मोहन लाल बड़ौली आदि भी स्टार प्रचारकों में हैं। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है।

कांग्रेस की सूची में सबसे पहले सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी वाड्रा आदि शामिल हैं। कहा जा रहा है कि 18 सिंतबर से कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता भी हरियाणा के चुनावी मैदान में कूद जाएंगे। अकेले राहुल गांधी की रैलियां और रोड शो हरियाणा में करेंगे। आम आदमी पार्टी की सूची में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, सुनीता केजरीवाल, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, भगवंत मान जैसे नाम शामिल हैं। अरविंद केजरीवाल को कल यानी 13 सितंबर को सुप्रीमकोर्ट से जमानत मिलने के बाद आप कार्यकर्ताओं में काफी जोश है। हरियाणा में आप के भी धुआंधार प्रचार की संभावना जताई जा रही है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि भाजपा ने अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार शुरू होने से ठीक पहले जमानत इसलिए दिलवाई है ताकि वे हरियाणा में चुनाव प्रचार करें और आप प्रत्याशी कांग्रेसी वोट बैंक में सेंध लगा सकें।

हालांकि इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के सामने सबसे बड़े संकट अरविंद केजरीवाल या आम आदमी पार्टी नहीं है बल्कि दोनों राजनीतिक दलों से बगावत करके निर्दलीय या दूसरी पार्टी में जाकर चुनाव लड़ने वाले बागी हैं। भाजपा और कांग्रेस को टिकट बंटवरे के बाद हुई बगावत काफी भारी पड़ने जा रही है। इसकी राजनीतिक गलियारे में काफी जोर-शोर से चर्चा है। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस से प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व ने बागियों को मनाना और उन्हें स्वतंत्र रूप से या किसी पार्टी के साथ चुनाव न लड़ने के लिए मनाना शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा बगावत भाजपा में हुई है। इसलिए संकट भी भाजपा के सामने सबसे ज्यादा है। विधानसभा की कुल सीटों के एक तिहाई सीटों पर बागी हुए नेता ताल ठोक रहे हैं। लगभग तीस-बत्तीस सीटों पर बागी उम्मीदवार खेल कर सकते हैं।

-संजय मग्गू

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