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मेडिकल स्टूडेंट्स ने नौ गांवों को गोद लेकर पेश की मिसाल

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चिकित्सक को धरती का भगवान कहा जाता है। कहते हैं कि भगवान प्राणी को जन्म देता है। मनुष्य के अलावा अन्य प्राणियों को बीमार होने से या बीमार होने पर प्रकृति खुद इलाज करती है, लेकिन इंसानों का इलाज चिकित्सक करता है। वह उन्हें जीवनदान देता है। इसीलिए वह भगवान के तुल्य माना जाता है। झज्जर के वर्ल्ड मेडिकल कालेज के 150 मेडिकल स्टूडेंट नौ गांवों के लोगों के लिए भगवान का रूप धारण करके उनकी चिकित्सा सेवा कर रहे हैं। इन मेडिकल स्टूडेंट्स ने गांव छारा, गिरावड़, सुरखपुर, जोधी, रामपुरा, मेहराना, बिरधाना, खेड़ी आसरा और रेवाड़ी खेड़ा को गोद ले रखा है। इन नौ गांवों को हर तरह की चिकित्सा सेवा ये स्टूडेंट्स मुहैया करा रहे हैं।

नेशनल मेडिकल कमीशन की गाइडलाइन के अनुसार मेडिकल छात्र को गांव-गांव जाकर हेल्थ सर्वे करना होता है, ताकि एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान वे गांवों को ठीक से समझ सकें। वर्ल्ड मेडिकल कालेज के प्रत्येक छात्र ने तीन परिवारों की देखभाल का जिम्मा ले रखा है। इस तरह नौ गांवों के साढ़े चार सौ परिवारों के स्वास्थ्य की देखभाल ये स्टूडेंट्स कर रहे हैं। वर्ल्ड मेडिकल कालेज ने सबसे बड़े गांव छारा में हेल्थ सेंटर भी बना रखा है जिसमें छात्र-छात्राएं अवकाश के दिन भी सेवा प्रदान करते हैं। इससे इन स्टूडेंट्स को गांव में रहने वाले लोगों को किस तरह की परेशानियां होती हैं, उन्हें किसी तरह की चिकित्सा सुविधा मिल रही है या नहीं, इन बातों का भी ज्ञान होता है। जब ये स्टूडेंट अपनी पढ़ाई पूरी करके चिकित्सा सेवा क्षेत्र में उतरते हैं, तो इन्हें ग्रामीण जीवन के बारे में जानकारी होती है।

वे उसी के अनुरूप चिकित्सा करते हैं। वे अपने मरीजों की मनोदशा और आर्थिक स्थिति से पूरी तरह वाकिफ होते हैं। वैसे यह सही है कि एक अच्छा डॉक्टर अपने मरीज को बचाने की हर संभव कोशिश करता है। एक डॉक्टर कभी नहीं चाहता है कि उसका मरीज बिना ठीक हुए उसके पास से जाए। लेकिन यदि डॉक्टर को अपने परिवेश के बारे में जानकारी होगी, तो वह रोग और रोगी के बारे में अच्छी तरह से समझ पाएगा।

मानवीय दृष्टिकोण अपनाने वाले डॉक्टरों को लोग बहुत पसंद करते हैं। वैसे यह भी सच है कि आजकल मेडिकल की पढ़ाई बहुत महंगी हो गई है। मेडिकल की पढ़ाई में आम तौरपर साठ लाख से लेकर एक करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इतना पैसा तो गरीब या मध्यम आयवर्ग में आने वाले परिवार नहीं खर्च कर सकता है। जो छात्र इतनी भारी-भरकम राशि खर्च करके पढ़ाई करेगा, तो वह निशुल्क सेवा नहीं करेगा। लेकिन इंसान होने के नाते इस बात की उम्मीद जरूर की जाती है कि वह मानवीय संवेदना का दामन किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगा। पैसे के अभाव में किसी मरीज को डॉक्टर मरने नहीं देगा।

-संजय मग्गू

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