Sunday, February 23, 2025
19.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiभुलाए नहीं भूलती है अपने पुश्तैनी घर की यादें

भुलाए नहीं भूलती है अपने पुश्तैनी घर की यादें

Google News
Google News

- Advertisement -

पुश्तैनी घर शब्द का उच्चारण करते ही हमारे मानस पटल पर वह घर कौंध जाता है जिसमें हमारा बचपन बीता। शायद हमारे पिता का भी बचपन बीता। हो सकता है कि हमारे पिता से दो तीन पीढ़ी पहले के लोगों का भी वहीं बचपन बीता हो। लेकिन आज यह सब एक अतीत की दास्तान बनकर रह गई हो। पिता ने हो सकता है कि अपने पुश्तैनी घर को छोड़कर नौकरी या दूसरी मजबूरियों के चलते कहीं और घर बना लिया हो और वहीं बस गए हों। पुश्तैनी घर में दोबारा जाकर बसना, हो सकता है अच्छा न लगे। एक बंधन जैसा महसूस हो। वर्तमान परिस्थितियों से तालमेल न बैठ पाए, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पुश्तैनी घर में रहने में जो सुकून मिलता है, वह उस घर में नहीं मिल सकता है जिसे अभी कुछ साल पहले बनाया गया हो। यह नया बना घर दो या तीन पीढ़ी के बाद लोगों के लिए पुश्तैनी घर का दर्जा हासिल कर लेगा। जब हम पुश्तैनी घर में होते हैं, तो याद आता है कि यह वही जगह है जहां मैंने अपने सगे या चचेरे भाई या बहन से झगड़ा किया था।

बचपन में खेलते समय अमुक जगह पर चोट लगी थी, तो हम सब बच्चों की पिटाई हुई थी। बचपन में हम किस तरह गांव या मोहल्ले के लड़कों के साथ लड़ते झगड़ते या बड़े प्रेम के साथ स्कूल जाया करते थे। पिता, चाचा या दादा-दादी की जेब से चुराए गए पैसे से फलां दुकानदार से खट्टी मीठी गोलियां खरीदी थी। फिर उस दुकानदार की याद भी आएगी जिसकी मौत शायद कुछ साल पहले हो गई होगी। उस दुकानदार की खूबियां और ऐब भी याद आएंगे। किस तरह लूटता था बच्चों को। जब हम किसी नई जगह पर अपना ठिकाना बनाते हैं, तो हमारा अपने आस पड़ोस से उस तरह लगाव नहीं होता है जैसा कि हमें पुश्तैनी घर के आसपास रहने वाले लोगों से होता है।

पुश्तैनी घर के आसपास रहने वाले लोग दादा, पापा, चाचा के ही पट्टीदार होते हैं। वे किसी न किसी रूप में हमारी वशांवली से ही जुड़े होते हैं। अगर दूसरी जाति या धर्म के लोग भी हुए, तो उनके पूर्वजों का हमारे पूर्वजों से एक सामाजिक नाता रहा होगा। वही नाता हमारे जीवन में भी एक संबल प्रदान करता है। पुश्तैनी आवास पर रहने से हमारे जितने भी रिश्तेदार हैं, उनका सान्निध्य प्राप्त होता है।

कई बार संकट आने पर वे भले ही आर्थिक मदद न कर पाएं, लेकिन वे नैतिक और सामाजिक संबल प्रदान करके हमें टूटने से बचाते हैं। दुख के समय पीठ पर सांत्वना भरी थपथपाहट हर संकट से लड़ने का जज्बा पैदा करती है। पुश्तैनी घर हमें एकाकी नहीं रहने देता है। हमारे इर्द-गिर्द वे लोग होते हैं जो बचपन में साथ खेले थे। जिनसे झगड़ा हुआ था और अब वे भी हमारी तरह युवा या अधेड़ हो चुके हैं। फुरसत के पलों में उनके साथ बैठना, पुरानी यादों को ताजा करना, किसी शरारतपूर्ण घटना को याद करके ठहाके लगाना, हमारे तमाम तनावों को तिरोहित कर देता है। हम अपने आपको तरोताजा महसूस करने लगते हैं।

-संजय मग्गू

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

नादान और नफरत करने वाले क्या जानें ‘उर्दू की मिठास’

तनवीर जाफ़री                                 आपने छात्र जीवन में उर्दू कभी भी मेरा विषय नहीं रहा। हाँ हिंदी में साहित्य रत्न होने के नाते मेरा सबसे प्रिय...

वासुदेव अरोड़ा वार्ड नम्बर 37 के मतदाताओं की एक मात्र पंसद

समस्याओं का एक ही समाधान, तीर कमान तीर कामन फरीदाबाद। नगर निगम के वार्ड नम्बर 37 के र्निदलीय उम्मीदवार वासुदेव अरोड़ा को मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिल रहा है उनके समर्थकों के तूफान की तेज हवाओं में बाकि सभी उम्मीदवारों की हवा निकल रही है। वार्ड नम्बर 37 में मतदाताओं की एकमात्र पंसद वासुदेव अरोड़ा हैं और वार्ड की जनता जान चुकि है कि समस्याओं का एक ही समाधान तीर कमान। वासुदेव अरोड़ा ने सैक्टर 9 के डोर टू डोर अभियान में मतदाताओं को कहा कि वह अपने वार्ड की सभी समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं और इन समस्याओं के समाधान के लिये 2 मार्च को आप मेरे चुनाव चिन्ह तीर कमान के सामने वाला बटन दबाकर मुझे नगर निगम में पार्षद के रूप में भेजें। समाजसेवी हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा कि वासुदेव अरोड़ा पिछले 25 वर्षों से बिना किसी पावर के अपने वार्ड की समस्याओं का समाधान करते रहते है इसलिये आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि वासुदेव अरोड़ा की सेवाओं को सरकारी ताकत देकर अपने वार्ड के विकास को गति प्रधान करें। सैक्टर 9 में डोर टू डोर अभियान में हर घर से लोग उनको वोट देने का वादा करके उनके साथ समर्थन में उनके हक में वोट की अपील करने उनके साथ निकलते जा रहे थे और वहाँ के लोगों का कहना है कि बाकि नेता केवल वोट के समय नजऱ आते है लेकिन वासुदेव अरोड़ा हर समय उनके सुख-दुख में साथ खड़े रहते हैं इसलिये इस बार उनके बहुत ही भारी मतों से एकतरफा जीत के साथ नगर निगम पंहुचायेंगें। वासुदेव अरोड़ा

Recent Comments