सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती (Sibbal Dargah:)की दरगाह में एक शिव मंदिर होने के दावे से जुड़े दीवानी मुकदमे में अजमेर की अदालत द्वारा नोटिस जारी किए जाने के एक दिन बाद, राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बृहस्पतिवार को इस घटनाक्रम को “चिंताजनक” बताया और सवाल किया कि राजनीतिक लाभ के लिए देश को कहां ले जाया जा रहा है।
वादी के वकील(Sibbal Dargah:) ने बताया कि अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को निर्देश दिया था कि इस दीवानी मुकदमे में तीन पक्षों को नोटिस जारी किया जाए। मुकदमे में यह दावा किया गया है कि दरगाह में एक शिव मंदिर है। सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “चिंताजनक। नया दावा: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर। हम इस देश को कहां ले जा रहे हैं? और क्यों? राजनीतिक लाभ के लिए?”
अधिवक्ता योगेश सिरोजा ने अजमेर में पत्रकारों से कहा कि मुकदमे की सुनवाई दीवानी न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत में हुई। सिरोजा के अनुसार, दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए सितंबर में मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें वहां फिर से पूजा शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कहा, “हमारी मांग थी कि अजमेर दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाए, और यदि दरगाह का कोई पंजीकरण है, तो उसे रद्द किया जाए। साथ ही, उसका सर्वेक्षण एएसआई के माध्यम से किया जाए और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार दिया जाए।”