2 अक्टूबर 1904 को श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म मुगलसराय में हुआ था, जो उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा रेलवे शहर है जो वाराणसी से सात मील की दूरी पर स्थित है। लाल बहादुर शास्त्री के पिता शरद प्रसाद श्रीवास्तव एक शिक्षक थे, जिनका निधन तब हुआ जब वे मात्र डेढ़ वर्ष के थे। उनकी माँ रामदुलारी देवी, जो उस समय बीस वर्ष की थीं, अपने तीन बच्चों के साथ अपने पिता के घर चली गई थीं। ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए मशहूर थे।
जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। हालांकि इससे पहले वह 1961 से 1963 तक देश के छठवें गृह मंत्री रह चुके थे। एक बार की बात है। प्रधानमंत्री शास्त्री जी देश के पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर थे। उन दिनों वहां पक्की सड़कें भी नहीं थीं। पैदल ही यात्रा करनी पड़ रही थी। ऊबड़ खाबड़ रास्ते होकर भटकने में अधिकारियों को काफी परेशानी हो रही थी। लोगों ने शास्त्री जी को सलाह दी कि अब लौट चलना चाहिए।
लेकिन शास्त्री जी नहीं माने। वह लोगों से मिलते, उनकी समस्याएं पूछते और कोशिश करते कि उन समस्याओं का तत्काल समाधान हो जाए। जो समस्याएं तत्काल हल नहीं हो सकती थीं। उन्हें योजना बनाकर दूर करने का निर्देश देते थे। इस बीच उनके पैर में चोट लग गई। काफी खोजकर एक डॉक्टर बुलाया गया। उसने आकर मरहम पट्टी की और दवा खाने को दी। जब वह जाने लगा, तो शास्त्री जी ने उसकी फीस दी। उसने लेने से मना कर दिया, तो शास्त्री जी बोले, फीस रख लो। जब कोई गरीब व्यक्ति तुम्हारे पास इलाज कराने आए, तो उसे मना मत करना। यही मुझ पर उपकार होगा। इसके बाद डॉक्टर ने हमेशा गरीबों की मदद की।
-अशोक मिश्र