यह सच है कि दीपावली के बाद से दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रदूषण धीरे-धीरे कम हो रहा है। लेकिन अभी इतना भी कम नहीं हुआ है कि संतुष्ट होकर बैठा जाए। प्रदूषण का स्तर भले ही कुछ घटा हो, लेकिन चिंताजनक अभी बना हुआ है। सुप्रीमकोर्ट मामले को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर है। उसने पहले भी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की सरकारों को चेतावनी दी थी। कोई ठोस योजना बनाकर काम करने की नसीहत दी थी।
लेकिन कोई काम नहीं हुआ। अभी कल ही सुप्रीमकोर्ट ने पंजाब सरकार को पराली जलाने के मामले में हरियाणा से सीखने की नसीहत दी है। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी लगे हाथ पंजाब को हरियाणा से सीख लेने की सलाह दे दी। यह सही है कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है, लेकिन अकेले किसानों के सिर पर यह ठीकरा फोड़ना उचित नहीं है।
तीन-चार साल पहले सुप्रीमकोर्ट में ही पेश किए गए आंकड़ों से साबित हुआ था कि पराली जलाने से सिर्फ आठ से दस फीसदी प्रदूषण होता है। बाकी प्रदूषण के लिए बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां, डीजल और पेट्रोल चालित वाहन, घरों, कार्यालयों में लगे एसी सबसे ज्यादा प्रदूषण पैदा करते हैं। यदि इन पर लगाम लगाई जाए, तो वायु प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है।
वायु, ध्वनि और अन्य प्रकार के प्रदूषणों में इन सबका बहुत बड़ा योगदान होता है। शहरों में बनने वाली कालोनियों और सड़कों के निर्माण के समय उड़ने वाली धूल भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। जहां तक पराली का सवाल है, इसके लिए किसानों को जागरूक करना होगा। पराली के उपयोग का विकल्प तलाशना होगा। वैसे कुछ जगहों पर इसका उपयोग कागज, गत्ता आदि बनाने में होने लगा है। हरियाणा सरकार ने भी कुछ विकल्प सुझाए हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दावा किया है कि वर्ष 2021 में हरियाणा में पराली जलाने की 5993 घटनाएं सामने आई थीं। जबकि इसके अगले साल यह घटकर 3233 रह गई थीं। इस साल पराली जलाने की घटनाएं अब तक 1986 ही प्रकाश में आई हैं। हरियाणा में पराली जलाने की 39 प्रतिशत कम हुई हैं। लेकिन अभी इन आंकड़ों को संतोष जनक नहीं कहा जा सकता है।
प्रदेश सरकार को अभी इस मामले में थोड़ी सख्ती बरतने और किसानों को पराली जलाने से बचने के लिए ठोस विकल्प देना होगा। यही बात पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली सरकारों पर लागू होता है। अच्छा तो यह है कि सभी राज्य एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने की जगह किसी ठोस योजना पर एक साथ काम करें ताकि लोगों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़ रोका जा सके। वायु प्रदूषण लोगों को कई तरह की गंभीर बीमारियां दे रहा है। इससे लोगों को सांस संबंधी रोग हो रहे हैं।
-संजय मग्गू