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तनाव, असफलता, कलेश, आदि नशे के अनेक कारण लेकिन यह समाधान नहीं

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पलवल – हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह साहब और पुलिस अधीक्षक पंखुरी कुमार के दिशानिर्देशों और मार्गदर्शन में नशा मुक्त अभियान विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय और ग्राम शहर स्तर पर विभिन्न प्रकारों से किया जा रहा है। हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो के जागरूकता कार्यक्रम एवं पुनर्वास प्रभारी उप निरीक्षक डॉ अशोक कुमार वर्मा नशे के विरुद्ध अभियान के साथ साइकिल पर गाँव गाँव तक जा रहे हैं। वे आज राजकीय कन्या महाविद्यालय मंडकौला पहुंचे। महाविद्यालय में अंग्रेजी प्रवक्ता श्रुती सिंह की अध्यक्षता में नशे के विरुद्ध एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में प्रवक्ता डॉ श्रुती सिंह ने छात्राओं बताया कि नशा मनुष्य के जीवन में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में संकट बना हुआ है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इस आंदोलन में साझेदारी करनी चाहिए। उन्होंने ब्यूरो के जागरूकता कार्यक्रम एवं पुनर्वास प्रभारी/ उप निरीक्षक डॉ अशोक कुमार वर्मा और ब्यूरो का आभार व्यक्त किया। ब्यूरो के जागरूकता कार्यक्रम एवं पुनर्वास प्रभारी डॉ अशोक कुमार वर्मा ने छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक सर्वे के अनुसार भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 37 प्रतिशत लोग नशे का सेवन करते हैं। इनमें ऐसे लोग भी हैं जिनके घर में एक समय का भोजन भी उपलब्ध नहीं है। मनोचिकित्सकों के अनुसार युवाओं में नशे की समस्या बहुत अधिक है।

इसके पीछे के कारणों में जीवन शैली में परिवर्तन, परिवार का दबाव, तनाव, झगड़े, इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग, एकाकी जीवन, परिवार से दूरी, परिवार में कलह, इच्छाओं की पूर्ति न होना और जीवन में असफलता आदि। स्वतंत्रता के पश्चात देश में शराब की मांग 60 से 80 प्रतिशत बढ़ी है। पहले केवल पुरुष वर्ग ही नशा करता था लेकिन अब नारी शक्ति भी पीछे नहीं है। यह और अधिक चिंता का विषय है। नशे पर विस्तार से चर्चा करके उसके दुर्गुणों पर चर्चा की और बताया कि भारत में एनडीपीएस एक्ट 1985 के अंतर्गत अफीम चरस हेरोइन, स्मैक, चिट्टा, गांजा आदि पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। क्यों है किस लिए है आदि अनेक बातों पर चर्चा कर समझाया गया। बताया कि हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो के हेल्पलाइन 9050891508 पर कोई भी गुप्त सूचना निर्भीकता से दें।

उन्होंने बताया कि अधिनियम की धारा 64 ए के अंतर्गत यदि कोई व्यसनी, जिस पर धारा 27 के अधीन दंडनीय अपराध या स्वापक औषधि या मनःप्रभावी पदार्थ की अल्प मात्रा से संबंधित अपराधों का आरोप है और जो सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे या मान्यता प्राप्त किसी अस्पताल या किसी ऐसी संस्था से निराव्यसन के लिए स्वेच्छया चिकित्सीय उपचार लेना चाहता है और ऐसा उपचार लेता है, धारा 27 के अधीन या किसी अन्य धारा के अधीन स्वापक औषधि या मनःप्रभावी पदार्थ की अल्प मात्रा से संबंधित अपराधों के अभियोजन के लिए दायी नहीं होगा।

परन्तु यदि व्यसनी निराव्यसन के लिए पूर्ण उपचार नहीं लेता है तो अभियोजन से उक्त उन्मुक्ति को वापस लिया जा सकेगा। अर्थात यदि कोई व्यक्ति प्रतिबंधित नशे का अभ्यस्त हो चुका है और नशा छोड़ना चाहता है तो ऐसे व्यक्ति का निशुल्क उपचार संभव है। प्रत्येक ज़िले के सरकारी अस्पताल में निशुल्क नशा मुक्ति केंद्र चलायमान है। ब्यूरो द्वारा अब तक 550 से अधिक लोगों को नशा मुक्त किया जा चुका है। कार्यक्रम के अंत में शपथ ग्रहण करवाई।

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