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Editorial: शराब माफियाओं पर सख्ती करके बचाई जा सकती है लोगों की जान

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शराब मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। सदियों से लोग यह बात पीढ़ी दर पीढ़ी जानते-समझते चले आ रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद लोग शराब का सेवन करते हैं। सरकार भी ज्यादा से ज्यादा शराब की दुकानें खोलने का प्रयास करती है क्योंकि सबसे ज्यादा राजस्व शराब की बिक्री से ही मिलता है। कहने को सरकार इस राजस्व का उपयोग जनहित कार्यों में करती है। लेकिन सच क्या है? यह सरकार बहुत अच्छी तरह से समझती है। ऐसा देश के लगभग सभी प्रदेशों में होता है। पिछले दिनों यमुनानगर और अंबाला में जहरीली शराब से हुई मौतों के बारे में कल पंचकूला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जानकारी दी कि इस मामले में यमुनानगर में 19 और अंबाला में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

चार लोगों के लाइसेंस भी रद्द किए गए हैं। लोगों पर ढाई करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के साथ-साथ मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद भी दी गई है। हरियाणा में जहरीली शराब पीने से मौत होने का मामला कोई पहली बार सामने नहीं आया है। जब से हरियाणा पंजाब से अलग होकर नया प्रांत बना है,तब से जहरीली शराब का धंधा हो रहा है। हरियाणा जब पंजाब का हिस्सा था, तब भी यहां खूब धड़ल्ले से अवैध शराब बिकती थी। सन 1980 में जींद जिले में जहरीली शराब पीने से 40 लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं, 1983 में भी सिरसा जिले में सौ लोगों की मौत हो गई थी। अभी कुछ साल पहले 2020 में सोनीपत और पानीपत में चार दिन के भीतर ही 31 लोगों को जहरीली शराब के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी थी। ऐसा नहीं है कि इन मौतों को लेकर प्रदेश में कुछ नहीं हुआ था। सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक ने खूब बयानबाजी की थी। लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन तक किए थे। लेकिन इस मामले में सरकार या विपक्ष क्या कर सकता है, जब लोग थोड़े से पैसे बचाने के लिए सस्ती शराब के चक्कर में जहरीली शराब खरीद लेते हैं और अपने साथ-साथ अपने परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर देते हैं।

वैसे सरकार ने भी जहरीली शराब और शराब की दुकानों पर होने वाली धांधली के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। आॅनलाइन शराब की पेटियों की संख्या कुछ दिखाई जा रही हैं और जांच करने पर कुछ और पाई जाती हैं। ऐसे शराब ठेकेदारों पर सरकार ने कानूनी कार्रवाई करते हुए 39 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है। स्टॉक से गायब हुई शराब की पेटियों की जांच के लिए सरकार तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है जो गायब हुई शराब की जांच करेगी। एक्साइज ड्यूटी की चोरी करने के लिए बिना किसी रिकार्ड पर दर्ज किए शराब बेच दी जाती है और राजस्व की चोरी की जाती है। सरकार को इस मामले में और सख्ती बरतनी चाहिए। लोगों को भी सस्ती के नाम पर जहरीली शराब खरीदने से बचना चाहिए।

  • संजय मग्गू

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