जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में हुए हमले (Terrorist attack J&K) में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान जारी है। इस दौरान एक ट्रक चालक और 50 अन्य लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। इस हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे।
Terrorist attack J&K:पांच जवान हो गए शहीद
पुलिस अधिकारियों के अनुसार यह ट्रक शुरू में माचेडी-किंडली-मल्हार पहाड़ी सड़क पर सेना के वाहनों के पीछे था। सोमवार को हुए इस हमले (Terrorist attack J&K) में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी सहित पांच सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। टिप्पर चालक पर संदेह जताया गया है। अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या उसने पुलिया पर पास मांगकर जानबूझकर (सैन्य) काफिले के निकलने में देरी कराई थी।
कहां-कहां चलाया जा रहा तलाशी अभियान?
एक अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर इन इलाकों में सेना के वाहनों को प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन टिप्पर ने फिर भी पास मांगा। इससे दोनों वाहनों की गति धीमी हो गई। कठुआ के अलावा चार जिलों के घने जंगलों में रुक-रुककर हो रही भारी बारिश के बीच सेना और पुलिस का तलाश अभियान जारी है। उन्होंने कहा कि यह अभियान तीन अलग-अलग इलाकों- कठुआ, उधमपुर और भद्रवाह से शुरू किया गया। इसके परिणामस्वरूप सुरक्षाबलों ने घात लगाकर किए गए हमले के सिलसिले में पूछताछ के लिए 50 लोगों को हिरासत में लिया है।
Terrorist attack J&K: कब हुई थी मुठभेड़?
उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि आतंकी (Terrorist attack J&K) जंगल में छिपे हैं और उन्हें पकड़ने या फिर मार गिराने के प्रयास जारी हैं। डोडा जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में एक और तलाशी अभियान जारी है। यहां कठुआ में घात लगाकर किए गए हमले के एक दिन बाद मंगलवार शाम आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई थी। कठुआ में घात लगाकर किए गए हमले से संबंधित तलाशी अभियान के बारे में अधिकारियों ने बताया कि उधमपुर, सांबा, राजौरी और पुंछ जिलों के घने जंगलों के विभिन्न भागों में सेना एवं पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है।
गांव वालों ने क्यों मांगे हथियार?
उन्होंने बताया कि सांबा के लाला चक, राजौरी के मंजाकोट इलाके और पुंछ के सुरनकोट इलाके में बुधवार की सुबह नया तलाश अभियान शुरू किया गया। कठुआ के बदनोटा में घात लगाकर किए गए हमले (Terrorist attack J&K) की पृष्ठभूमि में बदनोटा और इसके आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने मांग की है कि आत्मरक्षा के लिए और आतंकवादियों की ओर से उत्पन्न खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए ग्राम रक्षा समूहों को मंजूरी दी जानी चाहिए। स्थानीय निवासियों ने सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें हथियार और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए ताकि वे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों की सहायता कर सकें।